उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव की तैयारी जोरों पर है। इस बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने “सेवा नियोजित” मतदाताओं को लेकर एक अहम पहल की है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि डाक मतपत्र (पोस्टल बैलेट पेपर) के तहत “सेवा नियोजित” का मतलब उन मतदाताओं से है जो देश और राज्य की रक्षा एवं सुरक्षा के लिए समर्पित हैं।

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आयोग ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि इन सभी वर्गों के मतदाता बिना किसी बाधा के अपने मताधिकार का उपयोग कर सकें।यह पहल न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करेगी, बल्कि यह उनके योगदान के प्रति सम्मान भी व्यक्त करती है।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

निर्वाचन आयोग के अनुसार, “सेवा नियोजित” श्रेणी में ऐसे लोग शामिल हैं जो भारतीय सशस्त्र बलों के वीर जवान, केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल के सदस्य, राज्य सशस्त्र बल के वे सदस्य जो राज्य से बाहर तैनात हैं, ऐसे सशस्त्र बल के सदस्य जिन पर आर्मी एक्ट 1950 लागू होता है।

डाक मतपत्र : लोकतंत्र के प्रति सम्माननिर्वाचन आयोग का यह कदम यह दिखाता है कि लोकतंत्र के इस महापर्व में हर मतदाता की भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण है। जो जवान सीमा पर तैनात हैं, उन्हें मतदान के अधिकार से वंचित न करना हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत है। डाक मतपत्र के माध्यम से वे भी देश के निर्माण में अपनी आवाज जोड़ सकेंगे।

रविवार को भी जारी रहेगा नामांकननगर निकाय चुनावों की प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाने के लिए आयोग ने यह भी घोषणा की है कि नामांकन प्रक्रिया 29 दिसंबर 2024 रविवार को भी जारी रहेगी। यह कदम उन प्रत्याशियों के लिए मददगार होगा, जो समय सीमा के भीतर नामांकन दाखिल करने की योजना बना रहे हैं।

हर वोट की अहमियतयह कदम यह साबित करता है कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है। चाहे वह सीमाओं पर देश की रक्षा कर रहा जवान हो या किसी दुर्गम क्षेत्र का नागरिक-हर वोट, हर आवाज़ की अहमियत है। निर्वाचन आयोग का यह प्रयास एक प्रेरणा है कि हर मतदाता अपनी जिम्मेदारी को समझे और मतदान प्रक्रिया में भाग ले।

डाक मतपत्र पहुंचाने में कोई चूक न करें राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी संबंधित अधिकारियों से अपील की है कि वे “सेवा नियोजित” श्रेणी में आने वाले मतदाताओं तक डाक मतपत्र पहुंचाने में कोई चूक न करें। यह न केवल एक प्रक्रिया है, बल्कि उन लोगों के प्रति कृतज्ञता का भाव है जो अपने कर्तव्यों के लिए देश से दूर रहकर भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बनते हैं।


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