सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी एलआईसी की ‘बीमा सखी योजना’ के तहत 18-70 वर्ष की उम्र की 10वीं कक्षा पास महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए बीमा एजेंट बनाया जाएगा। वित्तीय साक्षरता और बीमा जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए इन महिलाओं को पहले तीन वर्षों के लिए विशेष प्रशिक्षण और मानदेय दिया जाएगा।
बीमा सखी योजना के तहत महिला एजेंट को पहले वर्ष 7,000 रुपये प्रति माह, दूसरे वर्ष 6,000 रुपये प्रति माह और तीसरे वर्ष 5,000 रुपये प्रति माह का मानदेय मिलेगा। इसके अलावा बीमा सखियों को कमीशन का लाभ भी मिलेगा। एलआईसी की योजना तीन साल में दो लाख बीमा सखियों को नियुक्त करने की है।
प्रशिक्षण पाने के बाद ये महिलाएं एलआईसी एजेंट के रूप में काम कर सकती हैं। वहीं स्नातक बीमा सखियों को एलआईसी में विकास अधिकारी की भूमिका के लिए अर्हता प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल के मुख्य परिसर की आधारशिला भी रखी।
मुख्य परिसर और छह क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन 495 एकड़ में फैले हुए हैं जिनकी स्थापना 700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से की जाएगी। विश्वविद्यालय में स्नातक और स्नातकोत्तर अध्ययन के लिए बागवानी का एक कॉलेज और 10 बागवानी विषयों पर केंद्रित पांच स्कूल होंगे। यह बागवानी प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए फसल विविधीकरण और विश्वस्तरीय अनुसंधान की दिशा में काम करेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने महिलाओं को सशक्त बनाने के मकसद से अगले 12 महीने में एक लाख बीमा सखी नियुक्त करने का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां इस योजना का शुभारंभ किया। योजना के बारे में एलआईसी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सिद्धार्थ मोहंती ने कहा कि बीमा कंपनी इसमें मानदेय के तौर पर 840 करोड़ रुपये तक खर्च करेगी। उन्होंने कहा, ”बीमा सखी से हमारे खर्च का पांच गुना नया कारोबार से आने की उम्मीद है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि वे पहले साल में 4,000 करोड़ रुपये का नया कारोबार लाएंगे।”
पहले वर्ष के लिए मानदेय 7,000 रुपये प्रति माह, अगले वर्ष 6,000 रुपये प्रति माह और तीसरे वर्ष में 5,000 रुपये प्रति माह होगा। मोहंती ने कहा कि बीमा सखी एलआईसी को कम पहुंच वाले क्षेत्रों तक ले जाने में मदद करेगी। आने वाले समय में प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक बीमा सखी नियुक्त करने की योजना है।
उन्होंने नियामकीय बदलावों के बावजूद बाजार हिस्सेदारी बरकरार रखने का भरोसा जताया है। मोहंती ने बीमा अधिनियम में प्रस्तावित बदलावों के बारे में कहा कि ‘कंपोजिट’ लाइसेंस व्यवस्था से उद्योग को बढ़ावा मिलता है और एलआईसी को इससे कोई समस्या नहीं है। वित्त मंत्रालय ने बीमा अधिनियम, 1938 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव किया है।
इसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को 100 प्रतिशत तक बढ़ाना और चुकता पूंजी को कम करना शामिल है। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने प्रस्तावित संशोधनों पर 10 दिसंबर तक सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं। प्रस्ताव के मुताबिक, भारतीय बीमा कंपनियों में एफडीआई की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।