प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 11 व 12 अक्टूबर का प्रस्तावित उत्तराखंड दौरा जागेश्वर धाम की पूजा अर्चना के साथ शुरू हो सकता है। जागेश्वर में पीएम मोदी के पूजा अर्चना के कार्यक्रम की तैयारियां भी शुरू कर दी गई है।

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माना जा रहा है पीएम मोदी यहां से कई योजनाओं की सौगात देंगे।

प्रशासन इस संबंध में अपने स्तर से तैयारियों में जुटा हुआ है। प्रशासन की ओर से जागेश्वर धाम में पूजा करने वाले पंडितों की लिस्ट भी मंदिर समिति से मांगी है। इस सूची में से ही पंडितों का चयन किया जाएगा जो जागेश्वर धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूजा कराएंगे। इसके साथ ही महिला समूहों से स्टॉल लगाने को कहा गया है।

अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार पीएम 12 अक्तूबर को जागेश्वर धाम आ सकते हैं। प्रशासन की ओर से शौकियाथल स्थित मैदान का निरीक्षण किया। यहीं पीएम मोदी की एमआई 17 हेली की फ्लीट लैंड कर सकती है। माना जा रहा है कि जागेश्वर धाम में पूजा-अर्चना के साथ ही पीएम मोदी धाम की परिक्रमा भी करेंगे।

पीएम मोदी भगवान शिव के अनन्य भक्त हैं। वे उत्तराखंड में जब भी आते हैं। शिव मंदिरों में जरुर दर्शन करते हैं। केदारनाथ से उनकी गहरी आस्था है। इस बार वे पिथौरागढ़ और चंपावत के साथ ही अल्मोड़ा जिले के दौरे पर आ रहे हैं।

पीएम मोदी का पिथौरागढ़ में जनसभा और आदि कैलाश यात्रा के साथ ही चंपावत के मायावती आश्रम में रुकने का कार्यक्रम है। इसके साथ ही अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम में पूजा अर्चना का कार्यक्रम प्रस्तावित है। पीएम मोदी उत्तराखंड की देवभूमि से लोकसभा का चुनावी शंखनाद करने जा रहे हैं।

जागेश्वर धाम भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। अल्मोड़ा जनपद से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित जागेश्वर धाम में लगभग ढाई सौ छोटे-बड़े मंदिरों का समूह है। इनमें से एक ही स्थान पर छोटे-बड़े 224 मंदिर हैं। 125 छोटे-बड़े मंदिरों के समूह में 108 शिवलिंग और 17 अन्य देवी देवताओं के मंदिर स्थित है।

यह मंदिर लगभग ढाई हजार वर्ष पुराना है। मान्यता है कि यह प्रथम मंदिर है. जहां लिंग के रूप में शिव पूजन की परंपरा सबसे पहले शुरू हुई थी। इस स्थल को भगवान शिव की तपस्थली भी कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ विष्णु, देवी शक्ति और सूर्य देवता की पूजा की जाती है। जागेश्वर धाम को पुराणों में हाटकेश्वर के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान भोलेनाथ और सप्त ऋषियों ने यहां पर तपस्या की थी।


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