नेपाल में हिंदू राज्य की बहाली की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार (28 मार्च,2025 ) को काठमांडू के तिनकुने में जमकर हिंसक प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक इमारत में तोड़फोड़ की और आग लगा दी.

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काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक ये विरोध प्रदर्शन रैली एक शांतिपूर्ण सभा के रूप में शुरू हुई थी, अचानक उग्र हो गई, जिसके चलते पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं. जिसमें कई सुरक्षाकर्मी और कई लोग घायल हो गए. हिंसक प्रदर्शन के बाद नेपाल के गृह मंत्रालय की ओर से तिनकुने और काठमांडू में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया गया है.

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

रैली में योगी आदित्यनाथ का पोस्टर

राजशाही समर्थकों की रैली में नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग की गई. इस रैली में योगी आदित्यनाथ का एक बड़ा पोस्टर भी प्रदर्शनकारियों के हाथों में नजर आया, जिसमें उन्हें हिंदू राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में दिखाया गया.

प्रदर्शन के दौरान कैसे भड़की हिंसा?
सुबह से ही संयुक्त आंदोलन समिति के नेतृत्व में बड़ी संख्या में लोग हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए थे. प्रदर्शनकारी तिनकुने क्षेत्र में जमा हुए, लेकिन जैसे-जैसे भीड़ बढ़ी, स्थिति बिगड़ने लगी. प्रदर्शनकारियों ने सड़क किनारे बनी एक इमारत की खिड़कियां तोड़ दीं और आग लगा दी. सुरक्षा घेरा तोड़ने का प्रयास करने के बाद पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी.

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष
जैसे ही प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश की, पुलिस ने उन्हें रोकने और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े. वहीं, प्रदर्शनकारियों ने इमारत में तोड़फोड़ और आगजनी की, पुलिस पर पत्थर फेंके, सरकारी कार्यालयों में घुसने की कोशिश की. इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया. सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई.

संयुक्त आंदोलन समिति और राजनीतिक समर्थन
विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व नवराज सुबेदी के नेतृत्व वाली संयुक्त आंदोलन समिति ने किया था. इस आंदोलन को विवादास्पद व्यवसायी दुर्गा प्रसादी और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता राजेंद्र लिंगडेन का समर्थन मिला था. समिति की मांग है कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र और संवैधानिक राजशाही में बदला जाए. कई दक्षिणपंथी समूह इस आंदोलन को बढ़ावा दे रहे हैं. हालांकि नेपाल के धर्मनिरपेक्ष बनने के फैसले से कुछ वर्ग नाराज हैं.

नेपाल में राजशाही की बहाली की मांग क्यों उठ रही है?
बता दें कि नेपाल को 2008 में संवैधानिक राजशाही से हटाकर धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित किया गया था, लेकिन कुछ कट्टरपंथी गुट और हिंदू संगठनों का मानना है कि नेपाल को दोबारा हिंदू राष्ट्र बनाया जाना चाहिए. समर्थकों का तर्क है कि नेपाल की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को बचाने के लिए राजशाही जरूरी है, धर्मनिरपेक्ष सरकार से जनता खुश नहीं है. वहीं, विरोधियों का तर्क हा कि लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता नेपाल की नई पहचान बन चुकी है. राजशाही की वापसी नेपाल को पीछे ले जाएगी


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