
जब रुद्रपुर डबल मर्डर केस के मुख्य आरोपी को पुलिस कोर्ट में पेशी के लिए लेकर जा रही थी, तभी पुलिस गाड़ी से वक्त उसने बेहद शांत और रहस्यमयी अंदाज़ में कहा—“जो देखा, वही समझा… पर जो हुआ, वो किसी ने सोचा भी नहीं था।” उसके चेहरे पर पछतावे का नामोनिशान नहीं था, बल्कि एक ठंडी मुस्कान और दृढ़ता झलक रही थी।


मीडिया के कैमरे चमके, लेकिन उसने नज़रें नहीं झुकाईं। वह जैसे किसी बड़े रहस्य का संकेत दे रहा हो—मानो जो कहानी सामने आई है, वह अधूरी है। कुछ लोग बोले, शायद वह किसी तीसरे व्यक्ति की ओर इशारा कर रहा है, जिसे अब तक इस हत्याकांड से जोड़ा नहीं गया।
क्या यह बयान उसकी साजिश का हिस्सा था, या किसी दबाव का संकेत? क्या उसने किसी और को फंसाने की चाल चली, या कोई गहरी व्यक्तिगत चोट थी जिसे वह शब्दों में बयां नहीं कर पाया? पुलिस अभी इस बयान की गहराई तक नहीं पहुंची है, लेकिन आरोपी की रहस्यमयी बात ने पूरे मामले को एक नया मोड़ दे दिया है।
यह सिर्फ हत्या नहीं, कोई दबी हुई कहानी लगती है।

