रुद्रपुर। खटीमा की थारू जनजाति की महिलाओं ने इस बार कुश और मूंज घास से राखियां बनाईं हैं। इन्हें जिले के अधिकारी खूब पसंद कर रहे हैं। इससे पहले महिलाएं गृहसज्जा, किचन में इस्तेमाल होने वाले सामान, आकर्षक टोकरियां, टोपी, डलियां, फ्लावर पॉट आदि बनातीं थीं।

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राखी के लिए खटीमा के जीवन ज्योति पहेनिया क्लस्टर से जुड़ी 30 महिलाएं राखियां बना रहीं हैं। हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाने वाली कुश और मूंज घास की राखियां बना रहीं हैं। जीवन ज्योति पहेनिया क्लस्टर की अध्यक्ष शिक्षा राणा ने बताया कि कुश और मूंज घास से बने उत्पाद ऑनलाइन भी बेचे जा रहे हैं। बताया कि घास को पानी वाले रंग से रोगन कर उसमें कई तरह की डिजाइन बनाए जा रहे हैं। रुद्रपुर मुख्यालय में 100 राखियां पहुंचा दी गईं हैं। खटीमा की बारहराणा अन्नपूर्णा संस्था ने भी 100 राखियों की मांग दी है। संस्था की बहनें बनबसा में जाकर बटालियन में रहने वाले सैनिकों को राखियां बांधेंगी।
परियोजना निदेशक हिमांशु जोशी के माध्यम से राखियां सीएम तक भी पहुंचाई जाएंगी। यह राखियां स्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से भी लाभदायक हैं। इससे थारू जनजाति की महिलाओं को रोजगार के भी अधिक अवसर मिले हैं। इन राखियों की कीमत 10, 20, 50, 100 रुपये तक है।

“वहीं दूसरी ओर कुमाऊं संस्कृति का प्रतीक ऐपण से बनी हुई राखियां,” बाजार में कम दिख रही हैं। पर्वतीय समाज के जागरूक लोगों के छोड़ दे तो बाकी लोगों का रुझान भी संतोषजनक नहीं रहा है। अपनी संस्कृति से अपने आने वाली पीढ़ी को दूर रख, पाश्चात्य संस्कृति का चोला उड़ चुके लोगों के अंदर जागरूकता लानी होगी। हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की पहल सभी पर्वतीय समाज ऐपण से बनी हुई राखियां खरीदें ।और अपने इष्ट , मित्रों , पड़ोसियों,को भी ऐपण से बनी हुई राखियां खरीदने के लिए प्रेरित करें/


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