रूद्रपुर। आखिरकार सत्ता पक्ष के दबाव में झुका डॉन’  समझौते के बाद हाईप्रोफाइल’ मामले का नाटकीय ढंग से हुआ पटाक्षेप!पुलिस ने भी राहत की सांस ली सुनिए आखिर डॉन ने वीडियो जारी कर क्या कहा विगत दिनों सिडकुल में स्क्रैप के ठेके को लेकर सामने आये रंगदारी प्रकरण का आखिरकार नाटकीय ढंग से पटाक्षेप हो गया है। आरोप प्रत्यारोपों और पुलिस के पड़ रहे दबाव के बीच पूर्व सभासद राजेश सिंह इस मामले में बैक फुट पर आ गये। उन्होंने मामले में अब अपना बयान ही बदल दिया है। उनका कहना है कि पूर्व में विधायक और उनके करीबी पर जो आरोप उन्होंने लगाये थे वह गलतफहमी और एक नेता के बहकावे में आकर लगाये थे। हालाकि राजेश सिंह की यह कहानी किसी के गले नहीं उतर रही है। चर्चा है कि राजेश ने सत्ता पक्ष के दबाव में आकर समझौता कर लिया है और उसके बाद यह बयान दिया है

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आपको बता दें बीते दिनों सोशल मीडिया पर विधायक के करीबी भाजपा नेता किरन विर्क और पूर्व सभासद एवं हिस्ट्रीशीटर राजेश सिंह के बीच बातचीत का एक ऑडियो वायरल हुआ था। जिसमें किरन विर्क राजेश सिंह से विधायक के नाम पर स्क्रैप के ठेके में 33 प्रतिशत हिस्सेदारी की मांग कर रहा है। हालाकि इस मामले में किरन विर्क ने बाद में सफाई दी थी कि उन्होंने हिस्ट्रीशीटर से घबराकर बचाव के लिए विधायक का नाम लिया था। दूसरी तरफ ऑडियो वायरल होने के बाद राजेश सिंह का एक बयान भी सोशल मीडिया पर सामने आया था जिसमें उसने विधायक के नाम पर कुछ लोगों पर रंगदारी मांगने का खुला आरोप लगाया था। साथ ही डाक से पंतनगर थाने में दस लोगों के खिलाफ नामजद तहरीर भी दी थी और मामले को लेकर हाईकोर्ट जाने का भी ऐलान किया था। राजेश ने भाजपा नेताओं पर झूठे केस में फंसाने और एनकाउंटर की साजिश रचने का आरोप भी लगाया था।

कई दिनों तक यह मामला मीडिया में छाया रहा। इस मामले में भाजपा विधायक की जमकर किरकिरी हुयी। जिसके बाद दूसरे पक्ष की ओर से भी राजेश सिंह के खिलाफ रंगदारी मांगने, नगदी लूटने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में पुलिस को तहरीर दी गयी। राजेश सिंह के खिलाफ एक और तहरीर भी दी गयी थी जिसमें राजेश सिंह पर पूर्व पार्षद प्रकाश धामी के गवाह को धमकाने का आरोप लगाया गया था। राजेश की तहरीर पर तो कई दिन तक कोई कार्यवाही नहीं हुई लेकिन राजेश के खिलाफ जो तहरीर मिली थी उन जांच आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने राजेश पर शिकंजा कसते हुए उसकी गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिये। राजेश जब पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा तो पुलिस उसके माता पिता को चौकी में उठा लाई। बाद में राजेश के कई करीबियों को भी हिरासत में लिया गया।

राजेश पर पुलिस के पड़ रहे चौतरफा दबाव के बीच शनिवार शाम को मामले में नया मोड़ आ गया। शनिवार शाम राजेश सिंह का वीडियो संदेश सामने आया जिसमें उसने अपना खुद का बयान ही बदल दिया। वीडियो में राजेश ने जो बात कही उसे सुनकर लोग भी चौंक हो गये। जो राजेश सिंह दो दिन पहले तक बेफिक्र होकर मामले में हाईकोर्ट तक लड़ाई लड़ने की बात कह रहा था, उसने अपने सुर बदलते हुए वीडियो में कहा कि कुछ राजनैतिक लोगों के कहने पर उसने स्क्रैप कारोबार में घुसना चाहा। इसके लिए उसने स्क्रैप ठेकेदार पवन शर्मा से बात की और इंडिया फोर्ज कंपनी में स्क्रैप का ठेका ले लिया। बकौल राजेश पवन शर्मा ने बहुत सारे तथ्य छिपाते हुए उसे स्क्रैप का काम दिया। उसे धोखे में रखा गया जबकि मोहन स्वरूप और क्षितिज सेतिया पहले से ही पवन के साथ पिछले दस वर्ष से 33-33 प्रतिशत के पार्टनर थे। राजेश के मुताबिक जब उसने इनसे कहा कि काम मैं करूंगा तो इन्होंने मना कर दिया। जिससे वह परेशान हो गया। राजेश के मुताबिक उसने एक पूर्व नेता के कहने से दूसरे पक्ष पर रंगदारी का आरोप लगा दिया। वीडियो में राजेश साफ कहता हुआ नजर आ रहा है कि उससे ना तो किसी ने रंगदारी मांगी और ना ही मैने किसी से रंगदारी की मांग की। राजेश का कहना है कि गलतफहमी और एक नेता के कहने के कारण ही यह सब विवाद उत्पन्न हुआ।

राजेश का यह वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद माना जा रहा है कि पूरे मामले का नाटकीय ढंग से पटाक्षेप हो चुका है। हालाकि राजेश की ओर से जो वीडियो जारी हुआ है उसमें उसके चेहरे के भाव कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं। चेहरे से साफ नजर आ रहा है कि राजेश सिंह दबाव में अपना बयान दे रहा है। मामले में नया मोड़ आने के बाद चर्चाओं का दौर अभी थमा नहीं है। चर्चा है कि पुलिस और सत्ता पक्ष का चौतरफा दबाव पड़ने के बाद राजेश सिंह को बैकफुट पर आना पड़ा है। चर्चा ये भी है कि दबाव पड़ने के बाद राजेश सिंह की दूसरे पक्ष के साथ पंचायत हुई, जिसमें पूरे मामले का पटाक्षेप हो गया। सूत्र बताते हैं कि दोनों पक्ष इस मामले में एक दूसरे के खिलाफ दी गयी तहरीरों को वापस लेने के लिए राजी हो गये हैं। मामले का पटाक्षेप होने से पुलिस ने भी राहत की सांस ली है। वहीं रुद्रपुर के विधायक शिव अरोड़ा कहना था कि उन्हें बेवजह बदनाम किया जा रहा था, इसका प्रत्यक्षप्रमाण ‘डॉन के बयान ‘ से स्पष्ट हो गया कि ‘विधायकजी’ का इस मामले में कोई भी हाथ नहीं था ।


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