
रुद्रपुर नगर के हृदय स्थल पर स्थित अंबेडकर पार्क केवल एक पार्क नहीं है, बल्कि यह डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों, संघर्षों और सामाजिक न्याय की भावना का प्रतीक है। यह स्थान दलित, वंचित, पिछड़े और समाज के सभी समानता-प्रेमी नागरिकों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। किंतु दुःख की बात है कि बीते कुछ वर्षों से यह पार्क बार-बार अराजक तत्वों की साजिशों का शिकार बनता जा रहा है। हाल ही में जिस प्रकार अंबेडकर पार्क के मुख्य गेट के कुंड को तोड़ा गया, उससे एक बार फिर रुद्रपुर की सामाजिक सौहार्दपूर्ण परंपरा को चोट पहुँचाने का प्रयास स्पष्ट दिखाई देता है।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
यह घटना कोई पहली नहीं है। इससे पूर्व भी बाबा साहब की प्रतिमा को क्षति पहुँचाने की नापाक कोशिशें की गईं। कभी उनकी अगली (नथ) तोड़कर, तो कभी प्रतिमा पर टायर डालकर अराजक तत्वों ने माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया। अब यह तीसरी बार है जब अंबेडकर पार्क को विवादित बनाने की कोशिश हुई है। यह प्रश्न उठता है कि आखिर ऐसी घटनाएँ बार-बार क्यों घट रही हैं? और क्यों प्रशासन कठोर कार्यवाही करने में विफल साबित हो रहा है?
बाबा साहब के प्रतीकों से छेड़छाड़: सोची-समझी रणनीति
डॉ. अंबेडकर केवल एक दलित नेता नहीं, बल्कि आधुनिक भारत के संविधान निर्माता और लोकतंत्र के रक्षक हैं। उनकी प्रतिमाओं और स्मारकों से छेड़छाड़ करना मात्र तोड़फोड़ की घटना नहीं है, बल्कि यह संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की भावना पर सीधा प्रहार है। अराजक तत्व जानते हैं कि ऐसे कृत्य से दलित समाज आहत होगा और तनाव का वातावरण बनेगा। यही कारण है कि बार-बार रुद्रपुर अंबेडकर पार्क को निशाना बनाया जा रहा है।
धरना और जनाक्रोश
वर्तमान घटना के बाद सतपाल सिंह ठुकराल पिछले तीन दिनों से अंबेडकर प्रतिमा के समक्ष धरने पर बैठे हैं। उनके साथ समाजसेवी और आंबेडकरवादी कार्यकर्ता – राजेश गौतम, गोपाल गौतम, सुनील, सुरेश भारती, विजय सिंह, जावेंद्र सिंह, सुरेश जाटव सहित अनेक लोग न्याय की माँग कर रहे हैं। उनकी माँग बिल्कुल स्पष्ट है –
- अराजक तत्वों की तुरंत पहचान कर कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए।
- अंबेडकर पार्क और प्रतिमा की स्थायी सुरक्षा व्यवस्था हो।
- शाम के बाद पार्क के आसपास जो शराब के ठेके खुले रहते हैं, उन्हें या तो हटाया जाए या सख्ती से नियंत्रित किया जाए।
- पार्क को केवल पूजा स्थल या स्मारक न मानकर संवैधानिक चेतना केंद्र के रूप में विकसित किया जाए।
शराब के ठेके और असामाजिक गतिविधियाँ
धरना दे रहे लोगों की यह बात भी विचारणीय है कि अंबेडकर पार्क के आसपास अंग्रेजी और देसी शराब के ठेके खुले हुए हैं। शाम के समय इन ठेकों के बाहर भीड़ जमा होती है और नशे में धुत लोग पार्क के आस-पास उत्पात मचाते हैं। यह केवल अंबेडकर पार्क की गरिमा को ठेस नहीं पहुँचाता, बल्कि स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा और शांति के लिए भी बड़ा खतरा है। प्रशासन को चाहिए कि इस क्षेत्र को संवेदनशील ज़ोन घोषित कर शराब बिक्री पर रोक या सख्त निगरानी रखी जाए।
प्रशासन और शासन की जिम्मेदारी
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंबेडकर पार्क जैसी जगह पर लगातार घटनाएँ हो रही हैं और फिर भी प्रशासन की कार्यवाही सिर्फ़ खानापूर्ति तक सीमित रहती है। सवाल यह है कि:
- क्यों अब तक कोई स्थायी सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई?
- क्यों बार-बार वही गलती दोहराई जा रही है?
- क्यों प्रशासन केवल घटना होने के बाद जागता है, पहले से रोकथाम की व्यवस्था नहीं करता?
प्रशासन को समझना होगा कि यह केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि सामाजिक सौहार्द और संविधान की गरिमा का प्रश्न है। यदि इस प्रकार की घटनाओं को कठोरता से नहीं रोका गया, तो यह रुद्रपुर की पहचान और छवि दोनों के लिए घातक होगा।
अंबेडकर पार्क को सांस्कृतिक व शैक्षणिक केंद्र बनाने का सुझाव
अंबेडकर पार्क को मात्र एक पार्क या प्रतिमा स्थल के रूप में न देखकर इसे शैक्षणिक व सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। यहाँ पर –
- डॉ. अंबेडकर के जीवन और विचारों पर आधारित पुस्तकालय और अध्ययन केंद्र स्थापित किए जाएँ।
- संविधान जागरूकता से जुड़े सेमिनार और वाद-विवाद प्रतियोगिताएँ आयोजित हों।
- बच्चों और युवाओं के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामाजिक न्याय पर कार्यशालाएँ चलाई जाएँ।
इससे यह पार्क सिर्फ़ प्रतिमा देखने का स्थान न रहकर संवैधानिक चेतना और सामाजिक एकता का केंद्र बनेगा।
समाज की भूमिका
सिर्फ़ शासन-प्रशासन ही जिम्मेदार नहीं, समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह ऐसे असामाजिक तत्वों की पहचान कर पुलिस को जानकारी दे। सामूहिक दबाव से ही अपराधियों को हतोत्साहित किया जा सकता है। इसके साथ ही युवाओं को यह समझाना आवश्यक है कि डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा से छेड़छाड़ करना या ऐसे प्रयासों को सहन करना भारत की आत्मा को ठेस पहुँचाना है।
संविधान की गरिमा का प्रश्न
अंबेडकर पार्क से जुड़ी यह घटना केवल स्थानीय स्तर की समस्या नहीं है। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि आज भी कुछ ताकतें डॉ. अंबेडकर की विचारधारा और उनके द्वारा निर्मित समानता-आधारित भारत से घृणा करती हैं। इन ताकतों को समझ लेना चाहिए कि संविधान की गरिमा को कोई भी ताकत धूमिल नहीं कर सकती।
रुद्रपुर का अंबेडकर पार्क केवल ईंट-पत्थरों का ढांचा नहीं है, बल्कि यह समानता, भाईचारे और सामाजिक न्याय की जीवित प्रतिमूर्ति है। यदि अराजक तत्व इसे बार-बार निशाना बनाते हैं, तो यह केवल एक स्मारक की क्षति नहीं, बल्कि हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है।
इसलिए आवश्यक है कि:
- अंबेडकर पार्क और प्रतिमा की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाए।
- शराब और असामाजिक गतिविधियों पर रोक लगे।
- दोषियों को उदाहरण स्वरूप कठोर दंड मिले।
- और सबसे महत्वपूर्ण, समाज और शासन मिलकर इसे संवैधानिक चेतना केंद्र में तब्दील करें।
यदि ऐसा हुआ, तभी रुद्रपुर वास्तव में बाबा साहब के सपनों का समाज बन पाएगा।


