रुद्रपुर की ‘धूलधूसरित’ पार्किंग: मेकअप का कातिल और मुफ्त में भी बेकार!महापौर की खुशी और मुफ्त पार्किंग की घोषणा!

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संपादकीय लेख:रुद्रपुर की नगर निगम पार्किंग का नाम सुनते ही शहर के लोगों के चेहरे पर धूल की परत अपने-आप चिपक जाती है। वजह? यह पार्किंग नहीं, बल्कि धूल का सरकारी गोदाम है, जो मुल्तानी मिट्टी से भी बढ़कर सौंदर्य प्रसाधन नाशक साबित हो रही है।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

शहर में सैकड़ों गाड़ियां हैं, हर घर में चार पहिया वाहन मौजूद हैं, फिर भी यह पार्किंग वीरान क्यों पड़ी रहती है? हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की पड़ताल में पता चला कि इस पार्किंग में गाड़ियां नहीं, बल्कि धूल के बादल खड़े रहते हैं।

मेकअप प्रेमियों के लिए ‘नो एंट्री’ जोन!

अगर कोई महिला ब्यूटी पार्लर से मेकअप करवाकर बाजार में शॉपिंग करने निकली हो और गलती से इस पार्किंग में गाड़ी खड़ी कर दे, तो उसके मेकअप का राम नाम सत्य हो जाता है। गाड़ी का दरवाजा खोलते ही एक झोंका आता है और चेहरे पर एक प्राकृतिक फेस पैक जम जाता है। एक बार तो एक महिला इतनी धूल में लथपथ हो गई कि खुद को पहचानने के लिए उसे आईना देखने की जरूरत पड़ गई!

धूल का ‘धमाका’ और भागते पार्किंग ग्राहक!

कई बार ऐसा भी हुआ कि जैसे ही कोई व्यक्ति या परिवार अपनी गाड़ी से उतरा, दूसरी गाड़ी बड़ी तेजी से पास आकर पार्क हुई, जिससे धूल का एक भयंकर अंबार उठा और लोगों के कपड़े ऐसे रंगीन हो गए जैसे उन्होंने होली खेलने का मन बना लिया हो।

महापौर की खुशी और मुफ्त पार्किंग की घोषणा!

महापौर विकास शर्मा ने जब इस धूल से भरी पार्किंग का निरीक्षण किया, तो वे इतने प्रफुल्लित हो गए कि आनन-फानन में इसे ‘मुफ्त’ घोषित कर दिया। शायद सोच रहे थे कि जब पार्किंग के नाम पर लोगों को मुफ्त में नेचुरल स्किन ट्रीटमेंट मिल रहा है, तो पैसा वसूलना अन्याय होगा!

विधायक जी का योगदान और नगर निगम का ‘प्रबंधन’

पार्किंग के निर्माण का श्रेय विधायक शिव अरोड़ा को जाता है, जिन्होंने नगर निगम चुनाव से पहले इसे जनता को समर्पित कर दिया था। लेकिन, अफसोस, पार्किंग को गाड़ियां नहीं, बल्कि धूल के कण समर्पित हो गए हैं। नगर निगम के अधिकारी भी इसे एक ‘सफल परियोजना’ मान रहे हैं, शायद इसलिए कि धूल में नहाने का मुफ्त आनंद सिर्फ यहीं मिल सकता है।

समाधान क्या है?

अब सवाल उठता है कि आखिर इस पार्किंग का उद्धार कैसे हो? सुझाव ये है कि या तो इसे सीमेंटेड कर दिया जाए, या फिर टाइल्स लगा दी जाएं, ताकि धूल की इस प्राकृतिक संपदा से जनता को छुटकारा मिले। वरना, इस पार्किंग को ‘फ्री नेचुरल स्पा’ घोषित कर देना चाहिए, जहां हर ग्राहक धूल से स्नान कर ताजगी का अनुभव कर सके!

रुद्रपुर के लोगों की राय:

शहर के निवासियों का मानना है कि ‘धूल भरी’ पार्किंग से अच्छा है कि अपनी गाड़ी किसी पेड़ के नीचे लगा लें। कम से कम वहां धूल के बादलों की जगह हरियाली तो मिलेगी!

तो नगर निगम और विधायक महोदय, जरा इस ‘धूल-संकट’ पर गौर करें, ताकि रुद्रपुर की यह ‘महान’ पार्किंग वाकई उपयोगी बन सके, वरना मुफ्त में भी कोई इसे हाथ नहीं लगाएगा!


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