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रूद्रपुर, 16 मई, 2024/ जनपद में जल संरक्षण एवं ग्रीष्मकालीन धान के क्षेत्रफल को कम करने एवं वैकल्पिक रूप से अन्य फसलों को बढ़ावा दिये जाने हेतु जिलाधिकारी उदयराज सिंह की अध्यक्षता में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सभागार में कृषि वैज्ञानिकों, कृषि संगठनोें, प्रगतिशील कृषकों व संबंधित अधिकारियों के बीच गहन मंथन किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि जल संरक्षण के साथ ही जीविकोपार्जन करना अति महत्वपूर्ण है। ग्रीष्मकालीन धान की फसल उत्पादन से अत्यधिक जल दोहन से भूमिगत जल स्तर निरंतर कम होता जा रहा है तथा जल स्रोत सूख रहे हैं, जो अत्यधिक चिंतनीय है। उन्होेंने अत्यधिक जल दोहन के दुष्परिणामों पर चर्चा करते हुए कहा कि जल संरक्षण, प्राकृतिक स्रोत व पर्यावरण को बचाना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी हैै। कृषक जागरूक होकर जिम्मेदारी समझते हुए कृषि कार्य करें।जिलाधिकारी ने कहा कि कृषक ग्रीष्मकालीन धान की जगह गन्ना, मक्का, दलहन, जैसी फसलों का उत्पादन को बढ़ावा दें। उन्होंने कहा कि यह बैठक हमारा पहला कदम है आगे भी इसप्रकार की चर्चाएं की जाएंगी। उन्होंने कृषकों व कृषक संगठनों से अपनी समस्या व सुझाव लिखित रूप में देने को कहा ताकि समस्याओं व सुझावों पर विचार-विमर्श कर समाधान निकाला जा सके।गर्मी के धान के विकल्प के रूप में अन्य फसलों को बढावा दिये जाने के सम्बन्ध में विभिन्न संस्थानों से आये वैज्ञानिकों द्वारा धान की फसल को उगाने के नई तकनीकों जैसे धान की सीधी बुवाई कर पानी खपत को कम करना, दलहनी एवं तिलहनी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जाना, गन्ने की खेती को बढावा दिया जाना तथा जनपद में मैथा एवं सूरजमूखी की फसलों को बढावा दिये जाने पर चर्चा की गयी। संवाद कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से आये कृषकों एवं कृषक संगठनों द्वारा सुझाव रखा कि जनपद में गेहूं की फसल की कटाई के तुरन्त बाद जो धान की खेती की जा रही है, वह पर्यावरण के दृष्टिकोण से हानिकारक है, इस पर रोक लगाई जाए साथ ही धान की खेती को अन्य राज्यों यथा पंजाब, हरियाणा की तर्ज पर धान की रोपाई की तिथि निर्धारित की जाए। कृषकों द्वारा यह भी सुझाव दिये गये कि भू-जल स्तर को बनाये रखने के लिए जनपद में स्थापित डैमों में जमा हो रही सिल्ट को निकाला जाए तथा कृषकों का यह भी सुझाव था कि ग्रीष्मकालीन धान के विकल्प के रूप में अन्य फसलों के उत्पाद के विपणन की व्यवस्था की जाए। मुख्य विकास अधिकारी मनीष कुमार द्वारा बैठक में वैज्ञानिकों एवं कृषकों द्वारा दिये गये सुझावों की संक्षेप में जानकारी दी तथा अवगत कराया गया कि इस विषय पर समय-समय पर इस तरह के संवाद कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।जिलाधिकारी द्वारा कृषक संगठनों से अनुरोध किया गया कि ग्राम स्तर पर गर्मी के धान से होने वाले नुकसान के बारे में ग्राम स्तर पर भी चर्चा करें। उपाध्यक्ष किसान आयोग राजपाल सिंह ने भी ग्रीष्मकालीन धान के विकल्प के रूप में गन्ना, मक्का, दलहन, तिलहन का उत्पादन करने को कहा ताकि हमारा जल, पर्यावरण बचा रहे।
- Avtar Singh Bisht
- May 16, 2024
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