
रुद्रपुर (उत्तराखंड) — उत्तराखंड के रुद्रपुर स्थित श्रम विभाग पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि यह विभाग फैक्ट्री मालिकों की मिलीभगत से मजदूरों की पीड़ा को अनदेखा कर रहा है। यह विभाग, जो कि श्रमिकों के अधिकारों और कल्याण के लिए स्थापित किया गया था, आज कथित रूप से भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है।


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
मजदूरों का आरोप है कि फैक्ट्रियों में कार्य के दौरान गंभीर हादसों में हाथ कटने या स्थायी अपंगता जैसी स्थिति उत्पन्न होने के बाद जब वे न्याय और मुआवजे की मांग लेकर श्रम विभाग जाते हैं, तो वहां उन्हें फैक्ट्री मालिकों के पक्ष में पूर्व निर्धारित जवाब मिलता है: “मशीनों की सफाई करते समय प्रेशर डाउन होने से हादसा हुआ।”
ऐसे हज़ारों मामले हैं, जहां न तो पीड़ितों को समय पर इलाज मिला और न ही मुआवजा। इन घटनाओं में से अधिकांश में आवेदन लंबित पड़े हैं या उनका निस्तारण फैक्ट्री प्रबंधन के पक्ष में कर दिया गया है।
यह स्थिति ना केवल प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाती है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करती है कि क्या उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना — जिसमें हर नागरिक को रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करने की बात कही गई थी — अब केवल कागज़ों तक सिमटकर रह गई है?
मांग की जा रही है कि
- भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों का तत्काल तबादला किया जाए
- स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जाए
- घायल मजदूरों को शीघ्र मुआवजा और पुनर्वास दिया जाए
- श्रम विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए
उत्तराखंड की जनता और विशेषकर श्रमिक वर्ग को न्याय दिलाने के लिए यह ज़रूरी है कि ऐसे विभागों में सुधार लाया जाए, जिससे राज्य की मूल भावना को पुनः जीवित किया जा सके।
