
रुद्रपुर। माँ भुवनेश्वरी चैरिटेबल सोसायटी द्वारा संचालित शहीद ऊधम सिंह मेमोरियल ब्लड बैंक सेंटर ने जून 2024 में अपनी स्थापना के एक वर्ष पूरे कर लिए। 4 जून 2023 को स्थापित यह केंद्र अब तक कई स्वैच्छिक रक्तदान शिविरों का सफल आयोजन कर चुका है और हजारों मरीजों के जीवन को बचाने में सहायक सिद्ध हुआ है।



✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)
ब्लड सेंटर की स्थापना डॉ. मनदीप सिंह, डॉ. जसविंदर सिंह, डॉ. राहुल किशोर, डॉ. अजय अरोरा, डॉ. नितिक भाठला और डॉ. प्रशांत पाठक के प्रयासों से हुई थी। इसका संचालन माँ भुवनेश्वरी सोसायटी द्वारा किया जा रहा है। सेंटर का लाइसेंस नंबर 7/यूए/एससी/पी/बीबी/2023 है और संपर्क हेतु नंबर 05944-366043 जारी किया गया है।
विशेष शिविर और अवसर
- 26 जनवरी 2024 (गणतंत्र दिवस) : डॉक्टर कॉलोनी, सिविल लाइन्स में आयोजित शिविर में बड़ी संख्या में युवाओं ने रक्तदान किया।
- 31 जुलाई 2024 (शहीद ऊधम सिंह पुण्यतिथि) : अग्रसेन चौक, गांधी पार्क के समीप COB शोरूम में हैल्प टू अदर सोसायटी एवं सेवा क्रांति ट्रस्ट के सहयोग से रक्तदान शिविर आयोजित हुआ, जहां स्वतंत्रता सेनानी ऊधम सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
- 4 जून 2024 (प्रथम वर्षगांठ) : ब्लड सेंटर की पहली सालगिरह पर भी डॉक्टर कॉलोनी स्थित परिसर में विशाल स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित किया गया।
पर्यवेक्षक डॉ. उपासना अरोरा एवं स्टाफ—इसरार अहमद, शंक अली, तलविंदर कौर, वैष्णव कुमार, अमन कटियार और पूरन सिंह ने रक्त संग्रह व सुरक्षित भंडारण की जिम्मेदारी निभाई।

“रक्तदान, जीवनदान है” के संदेश को आगे बढ़ाते हुए यह ब्लड सेंटर लगातार समाजसेवा के नए आयाम स्थापित कर रहा है। स्थानीय नागरिकों और समाजसेवी संगठनों का सहयोग इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत है।
आने वाले समय में केंद्र ने हर माह कम से कम एक स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित करने का संकल्प लिया है।
✍️ संपादकीय लेख:रक्तदान की नई परंपरा : रुद्रपुर का शहीद ऊधम सिंह मेमोरियल ब्लड सेंटर, एक मिसाल पूरे भारत के लिए”
रक्तदान का महत्त्व और भारत की ज़रूरत?रक्तदान – यह शब्द जितना सरल है, उसका महत्व उतना ही गहरा है। चिकित्सा विज्ञान में चाहे कितनी भी प्रगति हो जाए, लेकिन आज भी रक्त का कोई विकल्प नहीं है। जीवन बचाने का सबसे सीधा और मानवीय साधन है रक्तदान। भारत जैसे विशाल देश में हर साल लाखों मरीज रक्त की कमी से जूझते हैं। सड़क दुर्घटनाओं से लेकर गंभीर बीमारियों तक, प्रसव से लेकर आपातकालीन ऑपरेशनों तक, हर जगह रक्त की आवश्यकता पड़ती है।
ऐसे में यदि किसी शहर, किसी प्रदेश, या पूरे देश में रक्तदान को जनांदोलन बना दिया जाए, तो न केवल हजारों-लाखों जानें बचेंगी बल्कि समाज में सेवा और एकता की नई भावना भी पनपेगी। इसी सोच को मूर्त रूप देने का कार्य कर रहा है – रुद्रपुर का शहीद ऊधम सिंह मेमोरियल ब्लड सेंटर।
स्थापना की प्रेरणा : क्यों और कैसे शुरू हुआ यह अभियान?जून 2023 में रुद्रपुर की धरती पर जब इस ब्लड सेंटर की नींव रखी गई तो यह केवल एक चिकित्सा संस्थान नहीं था, बल्कि एक संकल्प था। शहीद ऊधम सिंह के नाम पर इसे स्थापित करने का अर्थ था – उस बलिदान की भावना को जीवित रखना जो उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए दी थी।
इस पहल के पीछे छह डॉक्टरों का सामूहिक सपना था –
डॉ. मनदीप सिंह
डॉ. जसविंदर सिंह
डॉ. राहुल किशोर
डॉ. अजय अरोरा
डॉ. नितिक भाठला
डॉ. प्रशांत पाठक
इन सभी ने मिलकर यह ठाना कि उत्तराखंड ही नहीं, पूरे भारतवर्ष में रक्तदान की नई परंपरा रुद्रपुर से जन्म लेगी।

डॉक्टरों की सोच और दृष्टि?डॉ. मनदीप सिंह – सेवा ही सच्चा धर्म
डॉ. मनदीप का मानना है कि डॉक्टर का असली धर्म केवल उपचार नहीं बल्कि जीवन बचाना है, चाहे उसके लिए कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न आएं। उन्होंने हमेशा कहा है – “रक्तदान महज़ चिकित्सा नहीं, यह इंसानियत की परीक्षा है।” उनकी सोच ने इस केंद्र को सेवा और समर्पण का आधार दिया।
डॉ. जसविंदर सिंह – समाज को जोड़ने की कला
डॉ. जसविंदर की दृष्टि यह है कि रक्तदान केवल एक व्यक्ति का काम नहीं, यह पूरा समाज मिलकर करता है। उन्होंने युवाओं से लेकर महिलाओं तक सभी को इस अभियान से जोड़ने का बीड़ा उठाया। उनके शब्दों में – “जब पूरा समाज एक साथ खड़ा होता है, तब कोई भी मरीज अकेला नहीं रहता।
डॉ. राहुल किशोर – युवाओं में जोश भरने वाले
रक्तदान शिविरों में जोश और उमंग से भरे युवा सबसे अधिक दिखाई देते हैं। यह ऊर्जा डॉ. राहुल की सोच का परिणाम है। उनका कहना है कि यदि युवाओं को सही दिशा दी जाए तो रक्तदान उनके लिए फैशन नहीं, बल्कि मिशन बन सकता है।
डॉ. अजय अरोरा – वैज्ञानिक दृष्टिकोण और प्रबंधन
रक्तदान केवल भावना से नहीं चलता, इसके लिए सुरक्षा, तकनीक और वैज्ञानिक प्रबंधन जरूरी है। डॉ. अजय ने सुनिश्चित किया कि सेंटर में हर प्रक्रिया मानक के अनुसार हो। उनकी बदौलत यह ब्लड सेंटर न केवल भावनाओं से बल्कि विश्वसनीयता से भी भरा है।
डॉ. नितिक बाठला – आधुनिकता के पैरोकार
डॉ. नितिक का सपना है कि रक्तदान अभियान तकनीकी रूप से इतना मजबूत हो कि हर व्यक्ति ऑनलाइन प्लेटफार्म पर आकर जुड़ सके। उनकी सोच है कि डिजिटल तकनीक और आधुनिक उपकरण ही इस अभियान को भविष्य की ओर ले जाएंगे।
. डॉ. प्रशांत पाठक – जनभागीदारी का सपना
डॉ. प्रशांत ने हमेशा यह संदेश दिया कि रक्तदान केवल एक मेडिकल एक्टिविटी नहीं बल्कि जनआंदोलन है। उनकी कोशिश रही कि हर वर्ग, हर संस्था, हर संगठन इसमें शामिल हो। उनकी यही दृष्टि इस अभियान को आंदोलन का रूप दे रही है।
रक्तदान शिविर : सेवा की परंपरा?इस ब्लड सेंटर ने स्थापना के एक साल में ही कई बड़े शिविर आयोजित किए, जो आज समाज की परंपरा बनते जा रहे हैं।
26 जनवरी 2024 (गणतंत्र दिवस) : जब पूरा देश तिरंगे में रंगा था, रुद्रपुर में युवाओं ने रक्तदान कर लोकतंत्र को नई ऊर्जा दी।
31 जुलाई 2024 (शहीद ऊधम सिंह पुण्यतिथि) : COB शोरूम, अग्रसेन चौक पर आयोजित शिविर में रक्तदान के साथ बलिदान को नमन किया गया। यह शिविर आजादी के नए अर्थ गढ़ने वाला था।
4 जून 2024 (प्रथम वर्षगांठ) : डॉक्टर कॉलोनी में आयोजित विशाल शिविर ने यह साबित कर दिया कि यह आंदोलन अब रुकने वाला नहीं।
समाज पर प्रभाव : नया आत्मविश्वास?इन शिविरों ने समाज को रक्तदान के महत्व से जोड़ा। युवाओं में गर्व की भावना जागी, महिलाएँ आगे बढ़ीं, व्यापारिक संस्थान और सामाजिक संगठन एक मंच पर आए। हर रक्तदाता ने महसूस किया कि वह किसी अनजान की जिंदगी बचा रहा है।

राष्ट्रीय स्तर पर मिसाल : रुद्रपुर मॉडल,आज जब पूरा भारत रक्त की कमी से जूझ रहा है, तब रुद्रपुर से जन्मा यह “रक्तदान मॉडल” पूरे देश के लिए मिसाल है। जैसे गुजरात का अमूल दूध आंदोलन बना, वैसे ही रुद्रपुर का यह ब्लड सेंटर रक्तदान आंदोलन बन सकता है।
भविष्य की राह : हर जिले में एक परंपरा?यदि उत्तराखंड के हर जिले में ऐसे ब्लड सेंटर हों और हर शहर में इस तरह के डॉक्टरों की टीम तैयार हो, तो भारत में कभी भी रक्त की कमी नहीं होगी। सरकार को चाहिए कि वह “रुद्रपुर मॉडल” को राष्ट्रीय योजना बनाए।रक्तदान को संस्कार बनाना?शहीद ऊधम सिंह मेमोरियल ब्लड सेंटर केवल एक संस्थान नहीं, बल्कि एक संस्कार है। यह वह जगह है जहाँ इंसानियत हर दिन खून की हर बूंद में धड़कती है।
इन छह डॉक्टरों ने दिखा दिया कि यदि सोच नेक हो और संकल्प दृढ़ हो, तो कोई भी शहर पूरे देश के लिए प्रेरणा बन सकता है। आज जरूरत है कि हर व्यक्ति इस आह्वान को सुने –रक्तदान करो, जीवनदान दो, और शहीद ऊधम सिंह की विरासत को आगे बढ़ाओ।”


उत्तराखंड की धरती पर जब भी समाजसेवा और रक्तदान का नाम लिया जाएगा तो हरविन्द्र सिंह चुघ का नाम अग्रणी रूप से लिया जाएगा। वे न केवल राज्य के सबसे बड़े ब्लड डोनर हैं, बल्कि एक ऐसे प्रेरणास्रोत भी हैं जिनकी निस्वार्थ सेवा की बराबरी करना आसान नहीं। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और दिल्ली में अब तक वे 100 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं। उनका यह योगदान हजारों लोगों की जिंदगी बचा चुका है।
विनम्र स्वभाव और सहज व्यक्तित्व के धनी हरविन्द्र सिंह चुघ की उपस्थिति मात्र से ही किसी भी कार्यक्रम की गरिमा बढ़ जाती है। रक्तदान को उन्होंने केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि जीवन का ध्येय बना लिया है। आज वे नई पीढ़ी के लिए एक आदर्श हैं और यह संदेश देते हैं कि इंसानियत की सबसे बड़ी पूजा है – निस्वार्थ सेवा।






