स्मार्ट मीटर या उपभोक्ताओं की परेशानी का नया अध्याय?हल्द्वानी निवासी को एक महीने का बिजली बिल मिला 46 लाख से अधिक, उपभोक्ता परेशान – स्मार्ट मीटर पर उठे सवाल

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हल्द्वानी।उत्तराखंड सरकार द्वारा बड़े स्तर पर प्रचारित और लागू किए गए स्मार्ट मीटर अब उपभोक्ताओं के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण हल्द्वानी नगर निगम के वार्ड संख्या 43, अरावली वाटिका छड़ायल के निवासी हंसा दत्त जोशी का मामला है, जिन्हें हाल ही में एक महीने का 46 लाख 60 हजार 151 रुपये का बिजली बिल थमा दिया गया।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता

हंसा दत्त जोशी ने बताया कि करीब एक महीने पहले एक प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी उनके घर आए और उन्होंने पुराने मीटर की जगह स्मार्ट मीटर लगा दिया। इसके बाद दो दिन पहले उन्हें जब मोबाइल पर बिल मिला तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने तत्काल इसकी शिकायत ऊर्जा निगम से की।

जोशी को पहले ट्रांसपोर्ट नगर स्थित ऊर्जा निगम कार्यालय भेजा गया और फिर वहां से उन्हें हीरानगर कार्यालय रिफर किया गया। हीरानगर कार्यालय के अधिकारियों ने उन्हें बिल सुधार का आश्वासन दिया और बाद में यूपीसीएल की ओर से बताया गया कि उपभोक्ता के पुराने मीटर में तकनीकी खराबी थी, जिससे यह बिल बना।

स्मार्ट मीटर: दावा एक्यूरेट रीडिंग का, लेकिन परिणाम उलटे?

सरकार द्वारा स्मार्ट मीटर को लेकर किए जा रहे दावों पर अब सवाल उठने लगे हैं। दावा था कि यह मीटर अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं और उपभोक्ता को वास्तविक रीडिंग के आधार पर बिल देंगे। लेकिन जब एक सामान्य उपभोक्ता को लाखों रुपये का बिल थमा दिया जाए, तो सवाल उठना लाजिमी है।

यह कोई पहला मामला नहीं है। स्मार्ट मीटर को लेकर उधम सिंह नगर के रुद्रपुर में भी तीव्र विरोध देखा गया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक तिलक राज बहेड़ ने तो सड़क पर उतर कर स्मार्ट मीटर के खिलाफ प्रदर्शन किया था। उन्होंने यहाँ तक कहा था कि यह योजना जनता पर जबरन थोपी जा रही है और इससे उपभोक्ता त्रस्त होंगे।

राजनीतिक हलकों में भी खलबली

रुद्रपुर के विधायक शिव अरोड़ा और विद्युत विभाग के मुख्य अभियंता शेखर त्रिपाठी ने स्मार्ट मीटर के पक्ष में प्रेस वार्ता कर इसके फायदे गिनाए थे, लेकिन अब जब बिलों में भारी विसंगति सामने आ रही है, तो यह फायदे आम जनता की समझ से परे हैं।

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स पहले ही स्मार्ट मीटर के संभावित दुष्परिणामों को लेकर चेतावनी देता रहा है। अब जब धरातल पर उपभोक्ता इस तकनीक की मार झेल रहे हैं, तो यह ज़रूरी हो गया है कि सरकार पुनः इस योजना की समीक्षा करे।

अब क्या करे उपभोक्ता?

हंसा दत्त जोशी जैसे उपभोक्ताओं को अब ऊर्जा निगम के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, संभव है कि कुछ मामलों में उपभोक्ता को कोर्ट तक जाना पड़े। बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रही जनता के लिए यह एक अतिरिक्त बोझ है।

सरकार और यूपीसीएल को चाहिए कि वह उपभोक्ताओं को भरोसा दिलाएं, पारदर्शिता बरतें और ऐसे मामलों में तत्काल राहत दें। साथ ही स्मार्ट मीटर लगाने वाली प्राइवेट कंपनियों की जवाबदेही भी तय की जाए।


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