
रुद्रपुर,मेट्रोपोलिस सिटी—शहर की नामचीन हाउसिंग सोसाइटी मेट्रोपोलिस सिटी में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। निवासियों की बढ़ती शिकायतों और प्रशासन की बेरुखी के चलते सोसाइटी में असंतोष का माहौल है। इसी बीच, सोसाइटी के अध्यक्ष देवेंद्र शाही ने एक सार्वजनिक अपील जारी कर निवासियों से समिति के अंदर ही समस्याओं का समाधान निकालने की गुहार लगाई है।


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
अध्यक्ष देवेंद्र शाही की अपील—‘शिकायतें बाहर करने से बढ़ेगा आर्थिक बोझ’
अध्यक्ष देवेंद्र शाही का कहना है कि कुछ निवासी सोसाइटी के विकास में सहयोग देने के बजाय विभागों में शिकायतें दर्ज करवा रहे हैं। उनका मानना है कि अगर सोसाइटी के कार्यों में कोई कमी है, तो उसे समिति के पदाधिकारियों या कर्मचारियों से साझा किया जाना चाहिए, न कि सरकारी विभागों में जाकर शिकायत की जाए।
उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर इन शिकायतों के कारण कोई आर्थिक दंड लगता है, तो उसकी भरपाई शिकायतकर्ता को करनी चाहिए। अगर वह ऐसा करने में असमर्थ रहता है, तो फिर यह दंड पूरी सोसाइटी के सदस्यों पर पड़ेगा।
निवासियों का पलटवार—‘तानाशाही से नहीं चलेगा सोसाइटी’
देवेंद्र शाही की इस अपील के बाद निवासियों में आक्रोश बढ़ गया है। लोगों का कहना है कि जब सोसाइटी में सुविधाएं पूरी नहीं मिल रही हैं, तो वे अपनी शिकायत कहां करें?
- निवासियों ने आरोप लगाया कि फ्लैट खरीदते समय जो सुविधाएं बताई गई थीं, वे अब तक नहीं मिली हैं।
- कई लोगों ने कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया, लेकिन वहां से भी कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका।
- देवेंद्र शाही पर तानाशाही का भी आरोप लगाया गया है, क्योंकि वे शिकायत करने वालों को आर्थिक दंड का भय दिखा रहे हैं।
क्या वाकई ‘शहर की सबसे सुंदर सिटी’ बनने का सपना साकार होगा?
हालांकि, विवादों के बीच अध्यक्ष देवेंद्र शाही ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा है कि वे मेट्रोपोलिस सिटी को शहर की सबसे सुंदर और विकसित सोसाइटी बनाने का सपना देख रहे हैं। लेकिन जब तक निवासियों और समिति के बीच भरोसे का पुल नहीं बनता, तब तक यह सपना अधूरा ही रहेगा।
अब सवाल यह है कि:
- क्या शिकायत दर्ज करवाने वालों को दंडित करना सही है?
- क्या समिति निवासियों की समस्याओं का समाधान करने में असफल हो रही है?
- क्या सोसाइटी में विकास से ज्यादा विवाद हो रहे हैं?
निवासियों को समाधान चाहिए, डर नहीं!
मेट्रोपोलिस सिटी के हालात को देखकर यह साफ है कि केवल अपील करने या दंड की चेतावनी देने से समाधान नहीं निकलेगा। निवासियों को सुविधाएं चाहिए, वादे पूरे होने चाहिए, न कि डर का माहौल। क्या देवेंद्र शाही इस चुनौती को स्वीकार कर पाएंगे? यह आने वाला वक्त ही बताएगा!
मेट्रोपोलिस सिटी: अपराधियों का अड्डा या आधुनिक सोसाइटी?
भ्रष्टाचार, बिजली चोरी, सुरक्षा व्यवस्था की अनदेखी—निवासियों में बढ़ी असुरक्षा!
मेट्रोपोलिस सिटी—एक समय शहर की सबसे आधुनिक और सुविधाजनक सोसाइटी के रूप में प्रचारित यह हाउसिंग प्रोजेक्ट अब अपराध, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का केंद्र बनता जा रहा है। सुरक्षा गार्डों की कमी, रखरखाव में लापरवाही, बिल्डिंगों की जर्जर होती हालत और समिति की कथित तानाशाही ने निवासियों को असुरक्षा के साए में जीने पर मजबूर कर दिया है।
अपराधियों का अड्डा बनती मेट्रोपोलिस सिटी!
निवासियों का कहना है कि सोसाइटी में संदिग्ध लोगों की आवाजाही बढ़ गई है। कई अवैध गतिविधियां और अनैतिक कार्य खुलेआम हो रहे हैं, लेकिन सोसाइटी प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
- रात के समय असामाजिक तत्वों का जमावड़ा
- सुरक्षा गार्डों की संख्या घटाई गई, भ्रष्टाचार के आरोप
- सीसीटीवी कैमरे या तो बंद हैं या खराब
बिजली चोरी और रखरखाव में घोटाले के आरोप
मेट्रोपोलिस वासियों ने बिजली चोरी और रखरखाव शुल्क में भ्रष्टाचार को लेकर भी आवाज उठाई है।
- बिल्डिंगों की हालत दिन-ब-दिन खराब हो रही है, सीलिंग टूट रही है, लिफ्ट बंद रहती हैं, पार्किंग में गंदगी फैली है।
- रखरखाव शुल्क तो लिया जाता है, लेकिन सुविधाएं जीरो।
- कुछ फ्लैटों में बिजली चोरी होने की भी शिकायतें हैं, लेकिन प्रशासन मौन है।
समिति की तानाशाही, निवासियों को नहीं मिलता न्याय
metropolis City निवासियों का आरोप है कि जब वे अपनी शिकायतें समिति के पास लेकर जाते हैं, तो उन्हें अनदेखा कर दिया जाता है। बल्कि समिति ही लोगों पर दबाव बनाकर उन्हें चुप कराने की कोशिश कर रही है।
- जो लोग शिकायत करते हैं, उन्हें धमकियां मिलती हैं।
- बाहर शिकायत करने पर आर्थिक दंड की धमकी दी जाती है।
- निवासियों के बुनियादी अधिकारों की अनदेखी हो रही है।
क्या जिला प्रशासन और उत्तराखंड सरकार लेंगी संज्ञान?
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स ने जब इस मामले की पड़ताल की, तो यह स्पष्ट हुआ कि मेट्रोपोलिस सिटी में प्रशासनिक अनदेखी और भ्रष्टाचार का स्तर बहुत गंभीर हो चुका है। सवाल यह है कि:
- क्या जिला प्रशासन इस मामले पर कार्रवाई करेगा?
- क्या उत्तराखंड सरकार सोसाइटी में बढ़ते अपराध और भ्रष्टाचार पर कोई ठोस कदम उठाएगी?
- क्या पुलिस प्रशासन मेट्रोपोलिस सिटी को अपराधियों के अड्डे से मुक्त कर पाएगा?
निवासियों को चाहिए न्याय, न कि तानाशाही!
मेट्रोपोलिस सिटी के लोग डरे हुए हैं, थके हुए हैं, लेकिन अब और चुप रहने के लिए तैयार नहीं हैं। अगर प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो निवासी न्याय पाने के लिए बड़े स्तर पर प्रदर्शन और कानूनी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह खबर जिला प्रशासन और उत्तराखंड सरकार का ध्यान खींच पाती है या नहीं!
