
इस बाबत डीजीपी दीपम सेठ ने अधिकारियों को पत्राचार करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही बैंकिंग सेक्टर के साथ मिलकर एसओपी तैयार करने को कहा गया है, ताकि लोगों में जागरूकता का स्तर बढ़ाया जा सके। डीजीपी ने शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय में पुलिस के बड़े अफसरों संग बैठक की।


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प्रिंट मीडिया,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर
उन्होंने साइबर क्राइम की शिकायतों का रजिस्ट्रेशन बढ़ाने और खुलासों का प्रतिशत बढ़ाने के निर्देश दिए। साइबर क्राइम के मामले में प्रदेश की पुलिस को और अधिक सशक्त बनाने पर भी विचार-विमर्श किया। कहा, साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए बैंकिंग सेक्टर की भूमिका निर्धारित की जाए।
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इसके लिए सभी नोडल अफसरों को एसओपी बनाने के निर्देश दिए। डीजीपी ने कहा, राज्य में साइबर पुलिस बल को आधुनिक और तकनीकी रूप से अधिक कुशल बनाने की जरूरत है। इसके लिए यहां पर स्टेट साइबर क्राइम हेडक्वार्टर की बेहद जरूरत है। अभी तक प्रदेश में दो साइबर थाने संचालित हो रहे हैं, मगर इनमें जरूरत के हिसाब से पुलिस बल नहीं है।
इनमें पुलिस बल की संख्या बढ़ाने के लिए प्रस्ताव बनाने को कहा। कहा, हर जिले में एक साइबर थाना स्थापित करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाए, ताकि, लोग आसानी से अपनी शिकायतों को यहां दर्ज करा सकें। साइबर क्राइम से बचाव के लिए जनजागरूकता भी एक अहम भूमिका निभाती है।
ऐसे में इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाए कि अपराध का तरीका क्या है। किस तरह से अपराधी लोगों को शिकार बना रहे हैं। इन सब तरीकों को लोगों को बताकर साइबर क्राइम के प्रति जागरूक किया जाए।
डॉयल 1930 में चंडीगढ़ पुलिस की कार्रवाई का होगा अध्ययन
साइबर वित्तीय हेल्पलाइन 1930 के क्रियान्वयन में चंडीगढ़ पुलिस का रिकॉर्ड देश में सबसे अच्छा है। यहां पर तत्काल कार्रवाई होती है। इसके साथ ही बैंकों से भी चंडीगढ़ पुलिस का समन्वय है। ऐसे में इस क्रियान्वयन के अध्ययन के लिए उत्तराखंड से एक पुलिस टीम को वहां भेजा जाएगा। डीजीपी ने जल्द टीम रवाना करने के निर्देश दिए हैं। डीजीपी ने जिलों की साइबर सेल में प्रशिक्षित कर्मचारियों को ही नियुक्त करने को कहा।
