एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) पर राज्य कर्मचारियों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ कर्मचारियों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया, जबकि कुछ अभी भी पुरानी पेंशन योजना को हूबहू लागू करने की मांग पर अड़े हैं।

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   उनका मानना है कि यूपीएस की तुलना में ओपीएस ज्यादा फायदेमंद है।

हमें बांटने की कोशिश, जारी रखेंगे लड़ाई

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा ने एकीकृत पेंशन योजना को खारिज कर दिया है। संगठन का कहना है कि पुरानी पेंशन बहाली के सिवाय दूसरा कोई विकल्प एनपीएस कार्मिकों को मंजूर नहीं है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह रावत ने कहा कि एनपीएस कार्मिकों को उम्मीद थी कि पुरानी पेंशन बहाली का निर्णय होगा, लेकिन सरकार ने एनपीएस कार्मिकों को मायूस किया है। कहा कि कर्मचारियों को पेशन योजना में सुधार नही बल्कि पुरानी पेंशन चाहिए।

यूपीएस को नहीं जाएगा स्वीकारा

प्रांतीय महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि सरकार ने यूपीएस लाकर केवल कर्मचारियों को विभाजित करने का प्रयास किया है। यूपीएस को किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जाएगा। कर्मचारी केवल और केवल पुरानी पेंशन चाहते है, जिसके लिए संघर्ष और तेज किया जाएगा।

प्रांतीय आइटी सेल प्रभारी अवधेश सेमवाल ने कहा कि कर्मचारियों की लड़ाई एनपीएस में संशोधन के लिए कभी नही रही। कर्मचारियों की मांग पुरानी पेंशन बहाली रही है, जिसके लिए संघर्ष को नए सिरे से आगे बढ़ाया जाएगा।

20 वर्ष की सेवा पर 50 प्रतिशत सुनिश्चित पेंशन दी जाए

उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ ने केंद्र सरकार की ओर से नई पेंशन स्कीम (एपीएस) वाले कर्मचारियों को एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) का लाभ दिए जाने की घोषणा के संबंध में अपनी मांग रखी है।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर

प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार मिश्रा का कहना है कि इस योजना में 25 वर्ष की सेवा के स्थान पर 20 वर्ष की सेवा पर 50 प्रतिशत सुनिश्चित पेंशन दी जाए। इसके अलावा पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की भांति सेवानिवृत्ति पर समस्त लाभ दिए जाएं।

न्यूनतम पेंशन के साथ दिया जाए महंगाई भत्ता

राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने एकीकृत पेंशन योजना का स्वागत किया है। प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गोसाईं ने कहा कि 2004 से न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू की गई थी। इस न्यून पेंशन स्कीम से कार्मिकों को 1500 से 3000 रुपये पेंशन मिल पा रही थी, जो अत्यंत कम थी। एकीकृत पेंशन योजना कर्मचारियों की बड़ी जीत है।

उन्होंने कहा कि न्यूनतम पेंशन के साथ महंगाई भत्ता दिया जाए जो कार्मिकों के दीर्घकालिक हितों की सामाजिक सुरक्षा के लिए आवश्यक है। सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों, निकायों, उपक्रमों के कार्मिकों की ईपीएस (ईपीएस) पेंशन -95 भी बहुत कम 1500 से 4000 रुपये है। उसकी बढ़ोतरी की मांग कार्मिक लगाकर कर रहे हैं। केंद्रीय कार्मिकों की भांति इसे कम से कम 10 हजार रुपये किया जाए।

हूबहू पुरानी पेंशन के लिए जारी रखेंगे लड़ाई

पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन के प्रदेश अध्यक्ष जीतमणि पैन्यूली ने कहा कि कर्मचारियों के संघर्ष का ही परिणाम है कि आज केंद्र सरकार को पेंशन के संबंध में निर्णय लेना पड़ रहा है।

कहा कि मूल वेतन का 50 प्रतिशत महंगाई भत्ते के साथ चिकित्सा प्रतिपूर्ति एवं पुरानी पेंशन से जुड़े अन्य समस्त लाभ कर्मचारियों को मिलने चाहिए। जब तक यह मांग पूरी नहीं होती संघर्ष जारी रहेगा। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि कर्मचारियों के हित में हूबहू पुरानी पेंशन योजना लागू करें।

भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक डॉ. प्रदीप त्यागी ने कहा कि सरकारी कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे थे। वहीं कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल कर्मचारियों को दिग्भ्रमित कर केवल उनका वोट लेने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर्मचारियों की पीड़ा को समझते हुए एनपीएस की जगह यूपीएस अर्थात यूनिफाइड पेंशन योजना को मंजूरी देकर सरकारी कर्मचारियों का बुढ़ापा सुरक्षित करने का काम किया है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार भी राज्य कर्मचारियों को केंद्र की तर्ज पर ही शीघ्र यूनिफाइड पेंशन योजना का लाभ देगी। उन्होंने कहा कि भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ का एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिलकर उत्तराखंड सरकार के कर्मचारियों को भी अविलंब इस योजना का लाभ देने की मांग करेगा। सरकारी कर्मचारियों को यूनिफाइड पेंशन योजना देने के लिए भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ उत्तराखंड के प्रदेश संयोजक डॉ. प्रदीप त्यागी, प्रदेश सह संयोजक त्रिलोचन प्रसाद सेमवाल, शशिकला सत्याल, डा. नवीन भट्ट, नन्दन अलमिया, राजेन्द्र चौहान आदि ने प्रधानमंत्री मोदी व केंद्रीय कैबिनेट का आभार व्यक्त किया है।


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