
एसटीएफ ने गिरोह के दो सदस्यों को गिरप्तार किया है। गिरोह के सदस्यों ने ज्यादातर दक्षिण भारत के राज्यों तेलांगना, आन्ध्रा प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र के राज्यों के बेरोजगार नौजवानो के साथ साईबर धोखाधड़ी की। जो कि सहारनपुर-देहरादून मुख्य रोड पर बाबाजी ट्रांसपोर्ट की आड़ में साईबर कॉल सेन्टर संचालित हो रहा था।


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प्रिंट मीडिया,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि एसटीएफ को सूचना मिली थी कि आईबीएम, एचसीएल, टेक-महेन्द्रा, एमेजॉन जैसी दिग्गज कम्पनियों के नाम पर बेरोजगार युवकों को फर्जी ‘जॉब ऑफर लेटर’ देकर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर साईबर धोखाधड़ी की घटनायें की जा रही है। जो कि देहरादून से चला रहा है। जो कि बेरोजगार युवकों के साथ उन्हे किसी दिग्गज कम्पनी में नौकरी के लिये इन्टरव्यू लेकर जॉब ऑफर लेटर देकर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर ठगी कर रहे थे।
जिनमें से अभी तक 25 शिकायतें तेलंगना, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य में दर्ज पायी गयी हैं इनके अभी और भी घटनायें प्रकाश में आयेंगी। एसटीएफ ने गिरोह के दो सदस्यों को मुख्य सहारनपुर देहरादून मार्ग में स्थित बीजीटीसी बाबाजी ट्रांसपोर्ट कम्पनी के कार्यालय, थाना पटेलनगर क्षेत्र से गिरप्तार किया। जिनमें ईश्विंदर शेरगिल उम्र करीब 30 वर्ष और विवेक रावत उम्र करीब 32 वर्ष शामिल थे। अभियुक्तों से पूछताछ से पता चला कि इस गिरोह का मुख्य सरगना ईश्विंदर शेरगिल उर्फ सन्नी है जो अपने साथ इस कार्य को करने के लिये विवेक रावत को लाया था।
ईष्विन्दर सिंह उर्फ सन्नी वर्ष 2019 में साईबर ठगी में ही थाना बसन्तकुंज दिल्ली से जेल गया था। छूटने के बाद साईबर कॉल सेन्टर में फिर कार्य करने लगा था वहां इसकी मुलाकात विवेक रावत से हुयी थी। फिर इन दोनों यहां देहरादून आकर अपना कार्य शुरू कर दिया। पूछताछ में ईष्विन्दर उर्फ सन्नी ने बताया कि देहरादून में उसके द्वारा B-G-T-C- BABA G TRANSPORT COMPANY तथा sunny foundation के नाम का एन०जी०ओ० और वहां पर तीन चार लड़को के साथ विवेक रावत को साईबर फॉड के कार्य के लिये लगा दिया और देश के दूर के अलग अलग राज्यो में मोबाईल कॉल कर बेरोजगार युवक / युवतियों को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में नौकरी लगाने का झांसा देकर पैसा ठगे जाने का कार्य करने लगा।
उसको ठगी के लिये बेरोजगार युवकों का डाटा दिल्ली निवासी एक व्यक्ति के द्वारा विशेषकर दक्षिण भारतीय बेरोजगार युवक/युवतियों का डाटा, 1000 रूपये तथा एक प्री-एक्टिवेटिड सिम का 800 रू० देकर खरीदा जाता था। इस डाटा में छात्रों का नाम, मोबाईल नम्बर, ईमेल आईडी, एडूकेशन, की-स्किल और वो किस इण्डस्ट्री में कार्य करने के इच्छुक हैं, उनके फोन नम्बर के साथ पूरा विवरण प्राप्त किया जाता था।
जिसके पश्चात ही उन्हें विभिन्न कम्पनियों जैसे महेन्द्रा टेक, सिप्पला, आई०बी०एम०, एच०सी०एल० आदि में नौकरी में सैलेक्शन किये जाने के नाम पर कॉल किया जाता फिर बकायदा उन ऑनलाइन टेस्ट लिया जाता, जिसमें उनको बताया जाता कि वो ऑनलाइन टेस्ट में पास हो गये हैं और उनका सलेक्शन हो गया है, फिर उन्हे सम्बन्धित कम्पनी की ओर जॉब लेटर ऑफर किया जाता है।
फिर उनसे विभिन्न प्रकार की प्रोसेसिंग फिस, मेडिकल परीक्षण फीस के नाम पर 250 से शुरू होकर 20-30 हजार की रकम अलग अलग फर्जी खातों में जमा करके एटीएम के माध्यम से निकाल दी जाती है। एक खातें का उपयोग 04-05 लाख रूपये के लिये किया जाता है फिर उन्हें बन्द कर दिया जाता है।
