


परिवार के मालिक की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। पुलिस के मुताबिक, हादसे की वजह कार की स्पीड बताई जा रही है। आशंका जताई जा रही है कि सामने से आ रहे किसी वाहन को बचाने के चक्कर में कार अनियंत्रित हो गई और डिवाइडर तोड़कर दूसरी साइड में आ गई। वहां सामने से आ रहे ट्रक ने उसे सीधी टक्कर मार दी। हादसे के बाद परिवार में कोहराम मचा हुआ है। लखनऊ के गाजीपुर थाना क्षेत्र में इंदिरानगर में कुर्वांचल नगर के दिनेश चंद्र उपाध्याय कर्मचारी कल्याण निगम से रिटायर हैं। इनके तीन बेटे हैं। इसमें दीपक सबसे बड़े थे। उनसे छोटे राजीव और सबसे छोटे कमल उपाध्याय। कमल बैंक में जॉब करते हैं। दीपक और राजीव दोनों अविवाहित थे। उनकी कोई बहन नहीं है। दीपक आईटी सेक्टर में काम कर रहा था। राजीव एमबीए की तैयारी कर रहा था। हादसे की सूचना पाकर छोटा बेटा कमल पसगवां सीएचसी पहुंचा। जहां उसने बताया कि सुबह साढ़े आठ बजे अपनी कार से सभी लोग उत्तराखंड के लिए निकले थे। कार दीपक की ही थी। जिसे वह खुद चला रहा था। पास की सीट पर छोटा भाई राजीव बैठा था। पीछे की सीट पर दिनेश चंद्र उपाध्याय, उनकी पत्नी विमला देवी व भाभी विमला बैठी हुई थीं। बताया जाता है कि कार एनएच 30 पर उचौलिया क्षेत्र में जब आई तो रास्ते में गांव जलालपुर के पास मां वैष्णो पेट्रोल पंप के सामने किसी वाहन को बचाने के चक्कर मे अनियंत्रित होकर डिवाइडर पार करते हुए ट्रक कंटेनर में टकरा गयी। हादसे में कार के परखच्चे उड़ गए।


दीपक की शादी के सिलसिले में जा रहे थे
हादसे की सूचना पर लखनऊ से पहुंचे बेटे कमल ने बताया कि वे लोग उत्तराखंड के ही मूल निवासी हैं। परिवार पहले उत्तराखंड के नन्दीग्राम अल्मोड़ा में रहता था। कल्याण निगम में पिता दिनेश चंद्र की नौकरी के कारण वह लोग लखनऊ में रहते है। अब पिता रिटायर्ड हो चुके है। परिजनों ने बताया कि दीपक की शादी के सिलसिले में उत्तराखंड में बात चल रही थी। सभी को पहले रुद्रपुर और फिर हल्द्वानी जाना था। इस बीच यह दर्दनाक हादसा हो गया।
लोकेशन पूछने को की कॉल, तब पता चला हादसा
उचौलिया में हादसे के बाद किसी तरह कार में फंसे लोगों को निकाला गया। गांव वाले और पुलिस प्रयास में जुटे रहे। इस दौरान हाईवे पर जाम लग गया। घायलों की हालत ऐसी थी कि वे कुछ बता पाने की हालत में नहीं थे। दिनेश चंद्र की भाभी विमला लहूलुहान होकर बेहोश पड़ी थी। दिनेश ने कुछ देर खुद को संभालने की कोशिश की, तभी वह भी बेसुध हो गए। इस बीच अचानक कार में पड़े फोन पर एक कॉल आ गई। थाना प्रभारी जितेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि कॉल करने वाले ने उनकी लोकेशन पूछी तो उनको हादसे की जानकारी दी गई। जो फोन पुलिस को बरामद हुआ, उसमें पैटर्न लॉक लगा था। इसलिए पुलिस फोन करने वाले का नंबर नहीं जान पाई।
शाहजहांपुर में काफी देर तक चलता रहा इलाज
जिला अस्पताल शाहजहांपुर भेजे गए दिनेश चंद्र और उनकी भाभी विमला का शाहजहांपुर में इलाज चलता रहा। विमला को ज्यादा चोटें थीं। उनका सीटी स्केन भी कराया गया। लेकिन रविवार की शाम को विमला देवी की भी मौत हो गई। हादसे में घायल हुए विमला देवी अपने देवर दिनेश के साथ जा रही थी। विमला देवी का एक बेटा है जो प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है। घटना के बाद वह भी कमल किशोर के साथ पसगवां पहुंचा, जहां से वह इलाज करा रही अपनी मां की देखभाल के लिए शाहजहांपुर चला गया था।
