रुद्रपुर में लोक निर्माण विभाग के कथित भ्रष्टाचार ने सरकारी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो इससे न केवल सरकारी धन की बर्बादी होगी बल्कि आम जनता को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।

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संपादकीय;रुद्रपुर, उत्तराखंड: लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी विकास योजनाएं

रुद्रपुर – उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में स्थित रुद्रपुर शहर में लोक निर्माण विभाग (PWD) एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर गया है। आरोप है कि विभाग द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्यों में अनियमितताएँ बरती जा रही हैं, जिससे आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

गुणवत्ता से समझौता, ठेकेदारों की मनमानी

स्थानीय निवासियों का कहना है कि विभाग द्वारा कराए गए सड़कों और अन्य निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। कई जगहों पर नई बनी सड़कें कुछ ही महीनों में उखड़ने लगी हैं, जिससे यह साफ होता है कि निर्माण में निर्धारित मानकों की अनदेखी की गई है।

फर्जी बिल और कमीशनखोरी के आरोप

सूत्रों के मुताबिक, कुछ अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच मिलीभगत से फर्जी बिल तैयार किए जा रहे हैं और कार्यों में पारदर्शिता की कमी है। स्थानीय सामाजिक संगठनों ने आरोप लगाया है कि कमीशनखोरी के चलते गुणवत्ताहीन काम को भी पास कर दिया जाता है, जिससे जनता के पैसे की बर्बादी हो रही है।

जनता में रोष, प्रशासन से कार्रवाई की मांग

भ्रष्टाचार के इन मामलों को लेकर शहर के लोगों में भारी आक्रोश है। नागरिकों का कहना है कि अगर समय रहते इन गड़बड़ियों की जांच नहीं की गई, तो आने वाले समय में शहर की बुनियादी सुविधाएं और भी बदतर हो सकती हैं। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

रुद्रपुर, उत्तराखंड: लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार, अधिकारियों की संपत्ति जांच की मांग तेज

रुद्रपुर – उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में लोक निर्माण विभाग (PWD) में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बाद अब विभाग के अधिकारियों की संपत्तियों की जांच की मांग जोर पकड़ रही है। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि कई अधिकारियों ने अपनी आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है, जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

अधिकारियों की संपत्ति में असामान्य वृद्धि

सूत्रों के अनुसार, कुछ अधिकारियों के पास पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी संपत्ति के प्रमाण मिले हैं। जमीन, मकान और अन्य संपत्तियों में निवेश की जानकारियाँ सामने आ रही हैं, जो उनकी आधिकारिक आय से मेल नहीं खातीं। माना जा रहा है कि ठेकेदारों से मिलीभगत कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है।

नकली बिल और कमीशनखोरी का खेल

लोक निर्माण विभाग पर पहले भी सड़कों, पुलों और सरकारी भवनों के निर्माण में घटिया सामग्री के उपयोग और फर्जी बिलिंग के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि इन अनियमितताओं से मिले पैसों को अधिकारियों ने कहां लगाया? स्थानीय नागरिकों का दावा है कि कुछ अधिकारी भारी कमीशनखोरी में लिप्त हैं और यह पैसा बेनामी संपत्तियों में लगाया गया है।

जनता की मांग – ईडी और विजिलेंस से हो जांच

प्रशासन और सरकार से मांग की है कि इन अधिकारियों की संपत्ति की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सतर्कता विभाग (विजिलेंस) से कराई जाए।

उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद “सरकारी धन की लूट को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। यदि अधिकारियों ने भ्रष्टाचार किया है, तो उनकी संपत्ति की जांच होनी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”


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