आंदोलनकारियों के आरक्षण बिल का मामला, विधानसभा ने प्रवर समिति का कार्यकाल दो माह बढ़ाया

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हिमाचल की तरह उत्तराखंड में भी सशक्त भू-कानून लागू करने की उठी मांग उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद

राजकीय सेवा में राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का इंतजार और बढ़ गया है। विधानसभा में लाए गए क्षैतिज आरक्षण विधेयक पर विचार करने के लिए गठित प्रवर समिति का कार्यकाल दो माह के लिए बढ़ा दिया गया है।

समिति की ओर से इस संबंध में अनुरोध किया गया था। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने समिति का कार्यकाल बढ़ाने की पुष्टि की है। ऐसा दूसरी बार है जब प्रवर समिति के कार्यकाल को विस्तार दिया गया है। अभी तक यही माना जा रहा था कि एक और बैठक के बाद समिति अपनी रिपोर्ट विस अध्यक्ष को सौंप देगी और राज्य स्थापना दिवस से पहले राज्य आंदोलनकारियों की क्षैतिज आरक्षण की मुराद पूरी हो जाएगी।

लेकिन, अब उनको इसके लिए और इंतजार करना पड़ेगा। विस में पेश विधेयक पर चर्चा के दौरान उसे प्रवर समिति के हवाले कर दिया गया था। स्पीकर ने संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में गठित समिति को 15 दिन में विचार कर सिफारिशें देने को कहा था। साथ ही सदन में आश्वासन दिया था कि समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण बिल के लिए विस का विशेष सत्र आहूत किया जाएगा।

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स ,अवतार सिंह बिष्ट, अध्यक्ष उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद

समिति ने 18 सितंबर को पहली बैठक की, जिसमें कोई नतीजा नहीं निकला। 25 सितंबर को समिति का कार्यकाल पूरा हो गया। समिति की मांग पर इसका कार्यकाल एक माह के लिए और बढ़ा दिया गया। 25 अक्तूबर को समिति का कार्यकाल पूरा हो रहा है। समिति की मांग पर अब कार्यकाल 25 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है।

मुझे प्रवर समिति का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ था। मैंने दो महीने के लिए कार्यकाल बढ़ाने की अनुमति दे दी है।
– ऋतु खंडूड़ी भूषण, अध्यक्ष, विधानसभा

प्रवर समिति की अब तक हुई बैठकों में कई महत्वपूर्ण सुझावों पर चर्चा हो चुकी है। आगे होने वाली बैठक में निर्णय हो जाएगा। हमने विधानसभा अध्यक्ष से समिति का कार्यकाल बढ़ाने का अनुरोध किया था।
– प्रेमचंद अग्रवाल, संसदीय कार्यमंत्री व अध्यक्ष, प्रवर समिति


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