


सुमित्रानंदन पंत काव्यादर्श साहित्यिक संस्था रुद्रपुर उत्तराखंड द्वारा राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में 2 नवंबर को विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें देश के सुप्रसिद्ध कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। देवरिया से आए बजरंगनाथ तिवारी ने सुनाया तेरे मन का भी कोना नहीं चाहते है, फिर से पलकें भिगोना नहीं चाहते।
झारखंड से आए कवि अभिनव मिश्र ने सुनाया दर्द से लड़ा हूं मैं, रोग की दवा है मैं । मेरठ से आयी शुभम त्यागी ने सुनाया तुमसे मिलने को आतुर दिखीं चूड़ियां।
लाल,पीली,हरी,सतरंगी चूड़ियां, लाज गढ़ती रही,तुम भी’ आए नहीं, रातभर ये खनकती रही चूड़ियां।। बाराबंकी से आए कवि प्रियांशु गजेन्द्र ने सुनाया रात रात भर तुमको गाया सुबह छपे अख़बार में। कार्यक्रम का संचालन कर रहे संस्था के अध्यक्ष शेखर पाखी ने प्रेम का वादा निभाना ही पड़ेगा, साथ में कुछ पल बिताना ही पड़ेगा एक दिन सबरी के झूठे बेर खाने , राम को जंगल में आना ही पड़ेगा।
कार्यक्रम में शहर गणमान्य लोग उपस्थित रहे जिसमें अजीत पाठक,राजकुमार ठुकराल, हिमांशु शुक्ला, संजय ठुकराल, शालिनी सिंह, रुपेश कुमार सिंह , राजू धीर , कौशल किशोर सिंह,भारत भूषण चूघ, मोहनखेड़ा, बलदेव राज छाबड़ा, हरविंदर चूघ, गगन ग्रोवर, आदि लोग उपस्थित थे। अंत में संस्था के संरक्षक खड़ग बहादुर सिंह और ओंकार सिंह ने सभी अतिथियों और कवियों का आभार व्यक्त किया।



