



एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत लोकसभा ने आज प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 के औपनिवेशिक युग के कानून को निरस्त करते हुए प्रेस एवं पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023 पारित कर दिया। यह विधेयक पहले ही मानसून सत्र में राज्यसभा में पारित हो चुका है।


विरासत थी, जिसका उद्देश्य प्रेस एवं समाचार पत्रों और पुस्तकों के मुद्रकों और प्रकाशकों पर पूर्ण नियंत्रण रखना था, साथ ही विभिन्न उल्लंघनों के लिए कारावास सहित भारी जुर्माना और दंड भी देना था। यह महसूस किया गया कि आज के स्वतंत्र प्रेस युग और मीडिया की स्वतंत्रता को बनाए रखने की सरकार की प्रतिबद्धता में, यह पुराना कानून वर्तमान मीडिया के परिदृश्य से पूरी तरह से मेल नहीं खाता है।
