इन लोगों को नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ
राज्य के शिक्षा निदेशालय को सरकार ने निर्देश दिए हैं कि विवाह के बाद राज्य का स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाने वाली महिला अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ इस भर्ती प्रक्रिया में न दिया जाए। इसके पीछे उत्तराखंड पुनर्गठन नियमावली का हवाला दिया गया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि जो प्रमाण पत्र 15 साल की समयावधि से पहले बनवाए गए हैं, वही वैध माने जाएंगे।
हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
शासन ने शिक्षा निदेशालय को जारी किए दिशा-निर्देश
शिक्षा विभाग ने पहले इस मामले में सरकार से मार्गदर्शन मांगा था, जिसके बाद अब स्पष्ट आदेश जारी किए गए हैं। शिक्षा विभाग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि जिन महिला अभ्यर्थियों ने विवाह के बाद आरक्षण प्रमाण पत्र प्राप्त कर सहायक अध्यापक के पदों के लिए आवेदन किया है, उनके दस्तावेजों की कड़ी जांच की जाए।
जांच के दायरे में 54 महिला अभ्यर्थी
इस भर्ती प्रक्रिया में चयनित करीब 54 महिला अभ्यर्थियों का भविष्य अब अधर में है, जिनके प्रमाण पत्रों की जांच जिलाधिकारी के स्तर पर की जाएगी। जिलाधिकारी द्वारा दिए गए प्रमाण पत्रों की सत्यता की पुष्टि और आरक्षण का लाभ पाने की वैधता पर निर्णय लिया जाएगा।
शासन ने आरक्षण न देने के लिए स्पष्ट आदेश दिए
अपर निदेशक आरएल आर्य के अनुसार, शिक्षा विभाग ने समाज कल्याण विभाग, कार्मिक विभाग और न्याय विभाग के परामर्श के आधार पर ये आदेश जारी किए हैं। जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।