उत्तराखंड के पौड़ी में पिंजरे में कैद गुलदार को जिंदा फूंकने के मामले में पांच लोगों को दोषी मानते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने बुधवार को सजा सुनाई। मामले में कोर्ट ने तत्कालीन ग्राम प्रधान और चार अन्य को एक-एक वर्ष के साधारण कारावास की सजा के साथ साढ़े तीन-साढ़े तीन हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया।

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अर्थदंड न देने पर दोषियों को 15 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

सहायक अभियोजन अधिकारी वर्षा ने बताया-पाबौ ब्लॉक के भट्टी, सरणा, कुलमोरी व सपलोड़ी समेत कई गांवों में वर्ष 2022 में गुलदार आतंक मचा रहा था। उसने एक महिला को भी मार डाला था। इससे ग्रामीणों में आक्रोश था। वन विभाग द्वारा लगाए एक पिंजरे में 24 मई 2022 की सुबह एक गुलदार कैद हो गया था। ग्रामीणों ने पिंजरे में कैद इस गुलदार को जिंदा जला दिया था।

वन विभाग ने घटना को अमानवीय बताते हुए कोतवाली पौड़ी में तहरीर दी थी। पुलिस ने तत्कालीन ग्राम प्रधान समेत पांच ग्रामीणों के विरुद्ध वन्यजीव संरक्षण अधिनियम,लोक सेवक के कामकाम में बाधा समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया था। मामले में सुनवाई के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पौड़ी लक्ष्मण सिंह की अदालत ने सपलोड़ी के तत्कालीन ग्राम प्रधान अनिल नेगी, चोपड़ा निवासी देवेंद्र सिंह व सरणा निवासी सरिता देवी, भुवनेश्वरी देवी और कैलाशी देवी को दोषी माना।

आरकेपुरम कॉलोनी में बंदरों का आतंक

वहीं, देहरादून के जोगीवाला के बद्रीपुर की आरकेपुरम आवासीय कॉलोनी के लोग बंदरों के आतंक से परेशान हैं। उन्होंने इससे निजात दिलाने के लिए पार्षद वीरेंद्र वालिया को ज्ञापन दिया और पिंजरा लगाने की मांग उठाई। रिटायर्ड प्रिंसिपल प्रो. केएल तलवाड़ ने बताया कि यह समस्या इतनी गंभीर हो चुकी है कि घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। घरों के अंदर तक बंदर घुस जा रहे हैं। बंदरों का पूरा झुंड जोगीवाला चौक से लेकर बद्रीपुर क्रॉसिंग तक उत्पात मचा रहा है। बंदर घरों में रखे सामान को भी क्षतिग्रस्त कर दे रहे हैं।

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