यहां आयोजित एक कार्यक्रम में पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई ने यूसीसी का मसौदा मुख्यमंत्री धामी को सौंपा। इस मौके पर प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, जस्टिस प्रमोद कोहली (सेवानिवृत्त), सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की उप कुलपति सुरेखा डंगवाल भी मौजूद रहीं। यूसीसी पर विधेयक पारित कराने के लिए पांच फरवरी से उत्तराखंड विधानसभा का चार दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है। इससे पहले मंत्रिमंडल इस पर चर्चा करेगा। उधर, नयी दिल्ली उत्तराखंड सदन में धामी ने कहा कि यूसीसी के लिए विशेष सत्र सोमवार से शुरू होगा। उन्होंने कहा कि समिति ने चार खंड में यूसीसी के मसौदे के साथ लगभग 749 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि अन्य राज्य भी इसका अनुसरण करेंगे।
इस मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी पार्टी ने जनता से वादा किया था कि नयी सरकार का गठन होते ही सबसे पहले यूसीसी लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने वादे के अनुरूप सरकार बनते ही उस दिशा में कदम बढ़ाया और पांच सदस्यीय समिति गठित की। समिति ने 72 बैठकें कीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी पहली बैठक प्रदेश के उस दूरस्थ क्षेत्र चमोली जिले के सीमांत माणा गांव में हुई जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले गांव की संज्ञा दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी देश का ऐसा पहला कार्यक्रम है जिसमें प्रदेश के करीब 10 प्रतिशत परिवारों की राय ली गयी और उनके विचारों को संकलित किया गया। धामी ने कहा, ‘लोगों की राय जानने के लिए एक वेब पोर्टल भी बनाया गया। पोर्टल में 2.33 लाख लोगों ने अपने विचार दिए।’
यूसीसी के लागू होने का मतलब…
यूसीसी राज्य में सभी नागरिकों को उनके धर्म से परे एकसमान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा। अगर यह लागू होता है तो उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है।