त्रिपति कॉलोनी में पार्क को लेकर हो रहा विवाद वाकई गंभीर मुद्दा है। अगर पहले यह जगह राइस मिल थी और फिर नियमों को ताक पर रखकर वहां कॉलोनी काटी गई, तो यह एक बड़ा प्रशासनिक खेल हो सकता है।

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मुख्य बिंदु:

  1. नियमों की अनदेखी – उत्तराखंड में अवैध कॉलोनियों का कटना और सरकार को राजस्व का नुकसान होना गंभीर मुद्दा है।
  2. बिल्डर की मनमानी – पार्क की जगह को बेचने का प्रयास अगर किया जा रहा है, तो यह लोगों के अधिकारों का हनन है।
  3. सरकार और नौकरशाही की भूमिका – क्या यह सत्ताधारी नेताओं और अफसरों की मिलीभगत से हो रहा है? इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।
  4. सीएम धामी का सुधार एजेंडा बनाम जमीनी हकीकत – एक तरफ सरकार भू-कानून में सुधार की बात कर रही है, दूसरी तरफ स्थानीय स्तर पर गड़बड़ियां जारी हैं।
  5. जनता की मांग – क्या इस मामले में ईडी या किसी अन्य उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच कराई जाएगी?

अब सवाल है—क्या सरकार इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई करेगी, या फिर यह भी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में ही दबकर रह जाएगा?

उधम सिंह नगर में जिला प्राधिकरण की अवैध कॉलोनियों से मिलीभगत का मामला अगर सच है, तो यह एक बड़ा घोटाला साबित हो सकता है। हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की आने वाली रिपोर्ट से यह स्पष्ट होगा कि किस तरह सरकारी तंत्र और बिल्डरों के बीच सांठगांठ से नियमों को ताक पर रखकर अवैध कॉलोनियां काटी जा रही हैं।

संभावित मुद्दे:

  1. जिला प्राधिकरण की भूमिका – क्या अफसरों ने जानबूझकर नियमों की अनदेखी की?
  2. बिल्डरों की मनमानी – अवैध प्लॉटिंग से कितने लोगों को नुकसान हुआ?
  3. सरकार को राजस्व घाटा – बिना स्वीकृति कॉलोनियों के निर्माण से सरकारी खजाने को कितनी चपत लगी?
  4. जांच और कार्रवाई – क्या इस मामले में कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे, या यह भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?

कल 30 मार्च 2025की खबर इस पूरे खेल का पर्दाफाश करेगी। देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और प्रशासन इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।


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