
रामपुर, 15 जुलाई 2025।गुरुद्वारा बाबादीप सिंह शहीद स्मारक सेवा ट्रस्ट, ग्राम पसियापुर रोड, नबावगंज, तहसील बिलासपुर, जिला रामपुर को लेकर चल रहे विवाद में सिविल जज (सी.डी.) न्यायालय, रामपुर ने प्रतिवादी देवेन्द्र सिंह को गुरुद्वारा परिसर में जबरन प्रवेश करने और प्रबंधन में हस्तक्षेप करने से अस्थायी रूप से रोक दिया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि यदि प्रतिवादी को इस स्तर पर न रोका गया, तो वादी ट्रस्ट को अपूरणीय क्षति हो सकती है।
संवाददाता,हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/ अवतार सिंह बिष्ट/उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी!
वादिनी (ट्रस्ट) की ओर से अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र में कहा गया कि प्रतिवादी देवेन्द्र सिंह को पहले गुरुद्वारे के सेवादार के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन 20 दिसंबर 2024 को सेवा समाप्त कर दी गई। आरोप है कि निष्कासन के बावजूद प्रतिवादी गुरुद्वारा परिसर में जबरन प्रवेश कर गोलक (दानपात्र) के प्रबंधन में बाधा डाल रहा है।
ट्रस्ट की मुख्य ट्रस्टी श्रीमती सतनाम कौर ने 12 जुलाई 2025 को जिलाधिकारी रामपुर को प्रेषित शिकायती पत्र में आरोप लगाया कि प्रतिवादी ने अपने कुछ लोगों के साथ मिलकर पुलिस की मदद से गुरुद्वारे में जबरन घुसकर तोड़फोड़ की और अवैध कब्जा करने का प्रयास किया। उन्होंने यह भी कहा कि इस घटना के दौरान उनके साथ अभद्र व्यवहार और गाली-गलौच की गई।
उल्लेखनीय है कि न्यायालय ने पहले ही 09 जुलाई 2025 को अंतरिम आदेश पारित करते हुए प्रतिवादी को गुरुद्वारा परिसर में प्रवेश और किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से रोक दिया था। ट्रस्ट ने अदालत से आग्रह किया कि उक्त आदेश का अनुपालन पुलिस और प्रशासन के माध्यम से सुनिश्चित कराया जाए।
सिविल जज रामपुर ने 14 जुलाई 2025 को दिए आदेश में थाना प्रभारी बिलासपुर और उपजिलाधिकारी बिलासपुर को निर्देशित किसेया कि 09 जुलाई के अंतरिम आदेश का पालन कराना सुनिश्चित किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि प्रकरण की आगे की सुनवाई 01 अगस्त 2025 को होगी।
गुरुद्वारे को लेकर विवाद के चलते क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है।
गुरुद्वारा विवाद: पुलिस मौजूद, फिर भी होता रहा हंगामा
गुरुद्वारा बाबादीप सिंह शहीद स्मारक सेवा ट्रस्ट विवाद में अदालत के स्पष्ट निषेधाज्ञा आदेश के बावजूद स्थिति पूरी तरह काबू में नहीं दिख रही। 12 जुलाई 2025 को जब प्रतिवादी पक्ष ने गुरुद्वारे में घुसने की कोशिश की, तब पुलिस मौके पर मौजूद थी, लेकिन लोग पुलिस के सामने ही आपस में झगड़ते रहे। दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक और धक्का-मुक्की होती रही, पर पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
लोगों का आरोप है कि प्रतिवादी और उसके समर्थक अदालत के आदेश की खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं। गोलक (दानपात्र) पर अधिकार को लेकर विवाद और गहराता जा रहा है। गुरुद्वारे की मुख्य ट्रस्टी सतनाम कौर का कहना है कि प्रशासन और पुलिस को अदालत के आदेश का पालन कराने में सख्ती दिखानी चाहिए, वरना हालात और बिगड़ सकते हैं।
स्थानीय लोग भी इस लचर कानून-व्यवस्था से चिंतित हैं। अदालत ने तो पुलिस और उपजिलाधिकारी को आदेश का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं, मगर घटनास्थल पर पुलिस की निष्क्रियता ने सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सबकी नजरें 01 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जिससे विवाद के हल की उम्मीद की जा रही है।

