संपादकीय;उत्तराखंड सरकार भ्रष्टाचार की गूंज और जनता की पुकार ! 130 करोड़ रुपये का घोटाला: पूर्व अधिकारियों पर मुकदमा !जनता की उम्मीदें और सरकार की जिम्मेदारी ,!क्या सरकार अपने वादों पर खरी उतरी?

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संपादकीय;उत्तराखंड सरकार: भ्रष्टाचार की गूंज और जनता की पुकार

उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, आज भ्रष्टाचार के दलदल में फंसता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के बावजूद, भ्रष्टाचार के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे सत्ता के गलियारों में हलचल मच गई है।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

भ्रष्टाचार के बढ़ते मामले: आंकड़े क्या कहते हैं?

राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने का दावा किया है। विजिलेंस विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में 57 ट्रैप ऑपरेशनों में 68 भ्रष्टाचारियों को गिरफ्तार किया गया है। यह संख्या राज्य के 23 साल के इतिहास में दर्ज कुल 281 ट्रैप और 303 गिरफ्तारियों का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

हालांकि, इन आंकड़ों के बावजूद, भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होती जा रही हैं। विजिलेंस हेल्पलाइन नंबर 1064 पर दर्ज शिकायतों के अनुसार, पुलिस विभाग के खिलाफ सबसे अधिक 909 शिकायतें आई हैं। इसके बाद राजस्व विभाग की 791 और ग्राम विकास विभाग की 516 शिकायतें दर्ज की गई हैं।

130 करोड़ रुपये का घोटाला: पूर्व अधिकारियों पर मुकदमा

उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम की देहरादून इकाई के पांच पूर्व अधिकारियों पर छह अलग-अलग मामलों में करीब 130 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में सरकारी धनराशि का गबन और दुरुपयोग शामिल है, जो सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी दावों पर सवाल खड़ा करता है।

जनता की उम्मीदें और सरकार की जिम्मेदारी;

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जनता की भागीदारी और जागरूकता आवश्यक है। हालांकि, जब सरकार खुद को ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का पालन करने वाली बताती है, तो यह उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वह भ्रष्टाचार के मामलों में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करे। वर्तमान स्थिति में, सरकार के दावों और जमीनी हकीकत के बीच बड़ा अंतर दिखाई देता है।

क्या सरकार अपने वादों पर खरी उतरी?

उत्तराखंड की भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी दावे और वास्तविकता के बीच बढ़ती खाई ने जनता के विश्वास को हिला दिया है। भ्रष्टाचार के मामलों की बढ़ती संख्या और उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों के खिलाफ आरोपों ने सरकार की नीतियों पर सवालिया निशान लगा दिया है। अब समय आ गया है कि सरकार अपने वादों को निभाए और देवभूमि को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए। अन्यथा, जनता का आक्रोश सत्ता के गलियारों में और अधिक हलचल मचाने से नहीं रुकेगा।


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