शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन यानी अष्टमी तिथि मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी को समर्पित होता है. मां महागौरी की पूजा करने से व्यक्ति के दांपत्य सुख, व्यापार, धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.

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माना जाता है कि जो भी व्यक्ति विधि विधान से मां महागौरी की पूजा करता है उसकी शादी से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं.

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट,

अष्टमी पर करें मां महागौरी की चालीसा का पाठ
नवरात्रि की अष्टमी पर मां महागौरी की विशेष कृपा पाने के लिए आप मां महागौरी की चालीसा का पाठ कर सकते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति भक्ति भाव से इस चालीसा का पाठ करता है उसके सभी बिगड़े काम बनते हैं. साथ ही जिन लोगों की शादी में रुकावटें आ रही हैं वो भी दूर होती हैं.

मां महागौरी की चालीसा

मन मंदिर मेरे आन बसो, आरम्भ करूं गुणगान,
गौरी माँ मातेश्वरी, दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधी न जानती, पर श्रद्धा है आपर,
प्रणाम मेरा स्विकारिये, हे माँ प्राण आधार।

नमो नमो हे गौरी माता, आप हो मेरी भाग्य विधाता,
शरनागत न कभी गभराता, गौरी उमा शंकरी माता।
आपका प्रिय है आदर पाता, जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,
महादेव गणपति संग आओ, मेरे सकल कलेश मिटाओ।

सार्थक हो जाए जग में जीना, सत्कर्मो से कभी हटु ना,
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो, सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो, मन भावन सुयोग मिला दो,
मन को भाए वो वर चाहु, ससुराल पक्ष का स्नेहा मै पायु।

परम आराध्या आप हो मेरी, फ़िर क्यूं वर मे इतनी देरी,
हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो, थोडे में बरकत भर दीजियो।
अपनी दया बनाए रखना, भक्ति भाव जगाये रखना,
गौरी माता अनसन रहना, कभी न खोयूं मन का चैना।

देव मुनि सब शीश नवाते, सुख सुविधा को वर मै पाते,
श्रद्धा भाव जो ले कर आया, बिन मांगे भी सब कुछ पाया।
हर संकट से उसे उबारा, आगे बढ़ के दिया सहारा,
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे, निराश मन मे आस जगावे।

शिव भी आपका काहा ना टाले, दया द्रष्टि हम पे डाले,
जो जन करता आपका ध्यान, जग मे पाए मान सम्मान।
सच्चे मन जो सुमिरन करती, उसके सुहाग की रक्षा करती,
दया द्रष्टि जब माँ डाले, भव सागर से पार उतारे।

जपे जो ओम नमः शिवाय, शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,
जिसपे आप दया दिखावे, दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।
सता गुन की हो दता आप, हर इक मन की ग्याता आप,
काटो हमरे सकल कलेश, निरोग रहे परिवार हमेश।

दुख संताप मिटा देना माँ, मेघ दया के बरसा देना माँ,
जबही आप मौज में आय, हठ जय माँ सब विपदाए।
जीसपे दयाल हो माता आप, उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,
फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ, श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।

अवगुन मेरे ढक देना माँ, ममता आँचल कर देना माँ,
कठिन नहीं कुछ आपको माता, जग ठुकराया दया को पाता।
बिन पाऊ न गुन माँ तेरे, नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,
जितने आपके पावन धाम, सब धामो को माँ प्राणम।

आपकी दया का है ना पार, तभी को पूजे कुल संसार,
निर्मल मन जो शरण मे आता, मुक्ति की वो युक्ति पाता।
संतोष धन्न से दामन भर दो, असम्भव को माँ सम्भव कर दो,
आपकी दया के भारे, सुखी बसे मेरा परिवार।

अपकी महिमा अती निराली, भक्तो के दुःख हरने वाली,
मनो कामना पुरन करती, मन की दुविधा पल मे हरती।
चालीसा जो भी पढे-सुनाया, सुयोग वर् वरदान मे पाए,
आशा पूर्ण कर देना माँ, सुमंगल साखी वर देना माँ।

गौरी माँ विनती करूँ, आना आपके द्वार,
ऐसी माँ कृपा किजिये, हो जाए उद्धहार।
हीं हीं हीं शरण मे, दो चरणों का ध्यान,
ऐसी माँ कृपा कीजिये, पाऊँ मान सम्मान।

अष्टमी और नवमी तिथि 2024 कब है?

सनातन पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रही है, जो 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि आरंभ हो रही है, जो 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में नवरात्रि की अष्टमी और नवमी का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को ही रखा जाएगा। कन्या पूजन के लिए भी यही दिन उत्तम माना गया है।

मां महागौरी की कथा

मां महागौरी ने देवी पार्वती रूप में भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, एक बार भगवान भोलेनाथ पार्वती जी को देखकर कुछ कह देते हैं, जिससे देवी का मन दुखी हो जाता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती हैं। इस प्रकार वषों तक कठोर तपस्या करने पर जब मां पार्वती नहीं आती हैं, तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुंचते हैं। वहां वे पहुंचते हैं, तो वहां मां पार्वती के रूप को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं।

एक कथा के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तभी से इनका नाम गौरी पड़ा। महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं। देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं- ‘सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।’

अष्टमी तिथि की पूजा-विधि

  • अष्टमी के दिन प्रातकाल उठकर स्नान करें और घर के मंदिर को भी अच्छे से साफ करें।
  • इसके बाद मां दुर्गा को गंगाजल से अभिषेक करें और अक्षत , लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें।
  • बाद में प्रसाद के रूप में फल और मिठाई अर्पित करें। इसके साथ ही धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं।
  • मंदिर में दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। साथ ही पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रखकर माता रानी की आरती करें।
  • पूजा खत्म होने के बाद अंत में क्षमा याचना करें।

मां महागौरी मंत्र

1. या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

2. बीज मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:

3. प्रार्थना मंत्र:- श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

आरती

जय महागौरी जगत की माया। जया उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहां निवासा॥
चंद्रकली और ममता अंबे। जय शक्ति जय जय मां जगदंबे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिकी देवी जग विख्याता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥

मां को ये भोग लगाएं

मां शक्ति के अष्टम स्वरूप मां महागौरी की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है। देवी की आठवीं पूजा के दिन काले चने का प्रसाद विशेष रूप से बनाया जाता है। देवी की पूजा के बाद परिवार के सदस्यों के साथ प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। यदि कन्या पूजन की मनौती है, तो उसे विधि-विधान से निष्ठा पूर्वक संपन्न करना चाहिए।


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