देश की नजर इस समय केरल के वायनाड जिले पर टिकी हैं, जो कि भीषण त्रासदी का सामना कर रहा है। बीते 30 जुलाई को मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में आए भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई।

Spread the love

इस प्राकृतिक आपदा के कारण अबतक 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल हैं। विभिन्न राहत शिविरों में ढाई हजार से अधिक लोग रह रहे हैं।

ये तस्वीरें डरावनी हैं और दूसरे राज्यों के लिए एक सबक भी, खासकर उत्तराखंड के लिए भी जो हर साल इस तरह की प्राकृतिक आपदा को झेल रहा है। इस बार भी 31 जुलाई को रुद्रप्रयाग जिले के केदारघाटी और टिहरी के घनसाली में बादल फटने और भूस्खलन से आपदा की चपेट में आ गए। दोनों जगह अब भी रेस्क्यू अभियान चल रहा है।

इसरो के भारत के भूस्खलन एटलस में शामिल जिले

जो तस्वीरें सामने हैं और परिस्थिति ये जिले झेल रहे हैं, इसको लेकर पहले ही इसरो के भारत के भूस्खलन एटलस के जरिए सतर्क किया जा चुका है। नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा तैयार भारत के भूस्खलन एटलस में 17 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 147 जिलों को शामिल किया गया है।

वायनाड 13वें, रुद्रप्रयाग और टिहरी टॉप पर

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर में

इसमें वायनाड 13वें स्थान पर है, जबकि इसरो की इस लिस्ट में उत्तराखंड के दो जिले देश के 147 संवेदनशील जिलों में टॉप पर हैं। इसरो के अनुसार रुद्रप्रयाग पहले और टिहरी जिले दूसरे नंबर पर सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में भूस्खलन जोखिम वाले टॉप जिले हैं।

केदारघाटी आपदा की चपेट में

केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिलें में है। जो कि 2013 की तरह इस बार भी प्राकृतिक आपदा की चपेट में हैं साथ ही केदारघाटी जगह जगह तबाह नजर आ रही है। इसे रास्ते पर लाने के लिए कम से कम एक माह का समय लग सकता है। रुद्रप्रयाग जिला भारत में सबसे अधिक भूस्खलन घनत्व है। कुल आबादी, कामकाजी आबादी, साक्षरता और घरों की संख्या भी सबसे अधिक है।

17 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 147 जिले शामिल

राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग एजेंसी के अनुसार उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग और टिहरी जिले में देश में सबसे अधिक भूस्खलन घनत्व है। इसरो के वैज्ञानिकों ने 17 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 147 जिलों में 1988 और 2022 के बीच दर्ज 80,933 भूस्खलन के आधार पर वैज्ञानिकों ने भारत के लैंडस्लाइड एटलस के निर्माण के लिए जोखिम मूल्यांकन किया है।

बड़ी प्लानिंग की आवश्यकता

एसडीसी फांउडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल का कहना है कि वायनाड की आपदा से उत्तराखंड को विशेष सबक लेने की आवश्यकता है। उत्तराखंड सबसे ज्यादा सेंसिटिव राज्य है। इसरो की रिपोर्ट में भी उत्तराखंड के दो जिले टॉप पर रहना इस बात के संकेत हैं कि हमारी सरकार को ज्यादा सर्तकता बरतने और इसके लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, सिर्फ आपदा के समय एक्टिव होने से दूरगामी परिणाम नहीं मिलने वाले हैं। इसके लिए सरकार को बड़ी

प्लानिंग पर काम करना होगा।

Pavan Nautiyal Oneindia

source: oneindia.com


Spread the love