गोवर्धन में पूजा में अन्नकूट (Annakut) भी बनाया जाता है. अन्नकूट 56 प्रकार का विशेष भोग होता है, जिसका भोग श्रीकृष्ण को लगाया जाता है. मान्यता है कि गोवर्धन पूजा के दिन अन्नकूट बनाने से मां अन्नपूर्णा भी प्रसन्न होती है और उनकी कृपा से घर का अन्न-भंडार सदैव भरा रहता है.


हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
गोवर्धन पूजा पर क्यों बनाया जाता है अन्नकूट
गोवर्धन पूजा पर अन्नकूट बनाने के पीछे ऐसा कहा जाता है, जब इंद्रदेव बारिश से पूरे बृज में भारी वर्षा करा रहे थे तब बृजवासियों और उनके गाय-बछड़ों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat) को अपनी कनिष्ठ उंगली (छोटी ऊंगली) से उठाकर छावनी बनाकर सभी की थी. आखिरकार इंद्र का घमंड टूटा और उसने बारिश बंद कर श्रीकृष्ण से माफी मांगी.
इसके बाद बृज के लोगों ने इस खुशी में कई तरह के पकवान बनाकर भगवान कृष्ण के सामने भोग अर्पित किया, जिसे अन्नकूट कहते हैं. इसके बाद से ही हर साल कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा को अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है और भगवान कृष्ण को छप्पन भोग अर्पित किए जाते हैं.
अन्नकूट पूजा का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म (Hindu Dharm) में अन्नकूट पर्व का विशेष महत्व है. भक्त इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा करते हैं. अन्नकूट के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है और भगवान का श्रृंगार भी किया जाता है. कई जगहों पर इस दिन कृष्ण की बाल लीलाओं (Krishna Bal Leela) के मंचन का आयोजन भी होता है.
अन्नकूट पूजा विधि
आज के दिन गाय के गोबर से घर, आंगन, बालकनी या किसी खुले और बड़े स्थान पर गोवर्धन पर्वत बनाकर उस पर फूल रोली अक्षत आदि से पूजा करनी चाहिए. आकृति के आसपास चावल के आटे और रोली से सुंदर-सुंदर आकृतियां बनाएं. साथ ही गोबर से लेटे हुए कृष्ण की आकृति भी बनाकर नाभी में दीपक रखा जाता है. इस स्थान पर भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर भी रखी जाती है. पूजा में धूप, नैवेद्य, फूल, फल आदि अर्पित करें और पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए. गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा के लिए 2 नवंबर 2024 सुबह 06:33 से 08:55 तक का समय शुभ रहेगा. मवेशी इस दिन अपने गाय-बैलों की भी पूजा करते हैं.
अन्नकूट पूजा से मिलता है मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद
अन्नकूट में विशेषतौर पर सब्जियों और अनाज आदि से भगवान श्रीकृष्ण के लिए 56 भोग तैयार किया जाता है. इसे धरती मां के धन्यवाद संस्कार रूप में भी मनाया जाता है. इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि धरती मां से जो भी अन्न के रूप में मिला है उसका सही उपयोग करना. विधि-विधान से अन्नकूट का भोग तैयार करने और भगवान को भोग लगाने से मां अन्नपूर्णा (Maa Annapurna) के आशीर्वाद से परिवार में कभी भोजन की कमी नहीं होती और अन्न-भंडार भरा रहता है.

