हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का दिन है. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है.

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भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ, शिवशंभू, महादेव आदि नामों से जाना जाता है, इस सृष्टि के संहारकर्ता हैं. लेकिन, उनकी उत्पत्ति कैसे हुई, यह एक रहस्य है.

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

शिव का प्रादुर्भाव: एक अद्भुत कहानी
भगवान शिव का जन्म नहीं हुआ है, वे स्वयंभू हैं. फिर भी, पुराणों में उनकी उत्पत्ति का वर्णन मिलता है. विष्णु पुराण के अनुसार, ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से उत्पन्न हुए, जबकि शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से प्रकट हुए. श्रीमद् भागवत के अनुसार, एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा अहंकार में डूबकर स्वयं को श्रेष्ठ बताने लगे, तब एक जलते हुए खंभे से भगवान शिव प्रकट हुए.

ब्रह्मा के पुत्र रूप में शिव
विष्णु पुराण में वर्णित शिव के जन्म की कहानी शायद भगवान शिव का एकमात्र बाल रूप वर्णन है. इसके अनुसार, ब्रह्मा को एक बच्चे की आवश्यकता थी. उन्होंने इसके लिए तपस्या की. तब अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए. ब्रह्मा ने बच्चे से रोने का कारण पूछा, तो उन्होंने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि उनका कोई नाम नहीं है, इसलिए वह रो रहे हैं. तब ब्रह्मा ने शिव का नाम ‘रूद्र’ रखा, जिसका अर्थ होता है ‘रोने वाला’. शिव तब भी चुप नहीं हुए. इसलिए ब्रह्मा ने उन्हें दूसरा नाम दिया, पर शिव को नाम पसंद नहीं आया और वे फिर भी चुप नहीं हुए. इस तरह शिव को चुप कराने के लिए ब्रह्मा ने 8 नाम दिए, और शिव 8 नामों (रूद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव) से जाने गए.

शिव के जन्म का रहस्य
शिव के इस प्रकार ब्रह्मा पुत्र के रूप में जन्म लेने के पीछे भी विष्णु पुराण की एक पौराणिक कथा है. इसके अनुसार, जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था, तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं था. तब केवल विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे. तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए. ब्रह्मा-विष्णु जब सृष्टि के संबंध में बातें कर रहे थे, तो शिव जी प्रकट हुए. ब्रह्मा ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया. तब शिव के रूठ जाने के भय से भगवान विष्णु ने दिव्य दृष्टि प्रदान कर ब्रह्मा को शिव की याद दिलाई.

ब्रह्मा को अपनी गलती का एहसास हुआ और शिव से क्षमा मांगते हुए उन्होंने उनसे अपने पुत्र रूप में पैदा होने का आशीर्वाद मांगा. शिव ने ब्रह्मा की प्रार्थना स्वीकार करते हुए उन्हें यह आशीर्वाद प्रदान किया. जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना शुरू की, तो उन्हें एक बच्चे की जरूरत पड़ी और तब उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद ध्यान आया. अतः ब्रह्मा ने तपस्या की और बालक शिव बच्चे के रूप में उनकी गोद में प्रकट हुए.भगवान शिव की यह रहस्यमय गाथा हमें उनकी शक्ति और महिमा का बोध कराती है.


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