उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र का पांचवां दिन जमकर हंगामे और विरोध-प्रदर्शन के बीच गुजरा. विवाद की जड़ थी कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का ‘देसी पहाड़ी’ बयान, जिसे लेकर विपक्ष ने तीखी आपत्ति जताई. कांग्रेस ने इस बयान को उत्तराखंड को बांटने वाला बताया और मंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया.

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यह विवाद सिर्फ विधानसभा तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि सड़कों पर भी कांग्रेस ने प्रदर्शन कर मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की.

विधानसभा में जोरदार हंगामा

जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी नेता यशपाल आर्य ने मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि यह असंसदीय भाषा है और इससे पहाड़ और मैदान के बीच भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा. कांग्रेस विधायकों ने जोरदार नारेबाजी की और सदन में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान कांग्रेस के एक विधायक ने कागज फाड़ दिए, जिससे नाराज होकर विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्षी विधायकों को कड़ी फटकार लगाई. इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया.

सड़क पर भी विरोध प्रदर्शन

कांग्रेस ने इस बयान को बड़ा मुद्दा बनाते हुए राज्यभर में विरोध प्रदर्शन का ऐलान कर दिया. कई जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं ने मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के पुतले जलाए और उनके इस्तीफे की मांग की. नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि भाजपा सरकार खुद प्रदेश को बांटने की राजनीति कर रही है, जो कि गलत है. वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह सरकार जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है और कांग्रेस इसे बर्दाश्त नहीं करेगी.

मंत्री ने दी सफाई

विवाद बढ़ता देख मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को सफाई देनी पड़ी. उन्होंने कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला जा रहा है और उनका मकसद किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था. उन्होंने कहा, “अगर मेरे शब्दों से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं खेद व्यक्त करता हूं.”

सीएम धामी का बयान

मामला गरमाने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी दखल देना पड़ा. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सभी का है और किसी भी तरह की विभाजनकारी राजनीति से बचना चाहिए. उन्होंने अपील की कि राज्य की जनता को मिलकर प्रदेश की प्रगति के लिए काम करना चाहिए. मुख्यमंत्री के बयान के बाद भाजपा ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश शुरू कर दी, लेकिन कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बनाने में लगी हुई है.

सोशल मीडिया पर भी उठा मामला

यह विवाद सिर्फ सदन और सड़कों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त चर्चा का विषय बन गया. ट्विटर और फेसबुक पर #देसी_पहाड़ी_विवाद ट्रेंड करने लगा. सोशल मीडिया यूजर्स ने इस बयान को लेकर मंत्री पर निशाना साधा और सरकार से जवाब मांगा.

भाजपा का पलटवार

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को बेवजह तूल दे रही है. उन्होंने कहा कि मंत्री पहले ही अपना स्पष्टीकरण दे चुके हैं, फिर भी कांग्रेस इसे राजनीतिक हथियार बना रही है.

क्या हो सकता है असर?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड की जनता पहाड़ और मैदान के भेदभाव को लेकर बेहद संवेदनशील है. इस तरह के बयान राजनीतिक रूप से नुकसानदायक हो सकते हैं. कांग्रेस इसे भाजपा सरकार की कमजोरी के रूप में जनता के सामने पेश कर रही है, वहीं भाजपा इस विवाद को जल्द से जल्द शांत करने की कोशिश कर रही है.

अगले कदम

कांग्रेस इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने और सरकार के खिलाफ जनजागरण अभियान चलाने की योजना बना रही है. वहीं, भाजपा इसे खत्म करने की रणनीति बना रही है. अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला किस ओर करवट लेता है और क्या सरकार इस विवाद को शांत करने में सफल होती है या नहीं.


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