उत्तराखंड में नए आपराधिक कानूनों के तहत पहली एफआईआर सोमवार को हरिद्वार जिले के ज्वालापुर थाने में दर्ज की गई। यह प्राथमिकी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 309 (4) (डकैती) के तहत दर्ज की गई।

Spread the love

यदि आईपीसी अभी भी अस्तित्व में होती, तो यह एफआईआर धारा-392 के तहत दर्ज की जाती।

शिकायतकर्ता ने कहा कि वह रात करीब 1:45 बजे गंगा नदी के किनारे रविदास घाट पर बैठा था, इसी दौरान दो अज्ञात लोग आए और चाकू की नोंक पर उसका मोबाइल फोन और 1400 रुपये नकद लूट लिए। बदमाशों ने पीड़ित को जान से मारने की धमकी भी दी।

शिकायतकर्ता का कहना है कि आरोपियों ने उसे नदी की ओर धकेल दिया और भाग निकले। पुलिस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने शिकायत मिलने के आधे घंटे के भीतर ही पहली एफआईआर दर्ज कर ली।

जांच अधिकारी प्रदीप कुमार ने कहा कि हर नई चीज के क्रियान्वयन के साथ चुनौतियां भी आती हैं। हमें शिकायतकर्ता की ओर से सुबह करीब 10:30 बजे शिकायत मिली थी। इसके आधे घंटे के भीतर ही एफआईआर दर्ज कर ली गई।

हालांकि इस दौरान पुलिस को नए कानूनों के प्रावधानों से गुजरना पड़ा। इसके लिए डिजिटल डिवाइस पर रिकॉर्ड और सबूत रखे गए। जांच अधिकारी प्रदीप कुमार ने कहा कि जल्द ही हमें नए कानूनों के तहत काम करने का अभ्यास हो जाएगा।

नए आपराधिक कानूनों पर उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार ने कहा कि यह आपराधिक न्याय प्रणाली में बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम है। ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में लगभग 25 हजार पुलिस कर्मियों का प्रशिक्षण पूरा किया जा चुका है। इन आपराधिक कानूनों के लागू होने से देश में कानून व्यवस्था की स्थित में सुधार होगा।


Spread the love