केदारनाथ धाम की यात्रा को आसान बनाने वाली हेलिकॉप्टर सेवा अब साइबर ठगों के निशाने पर है। फर्जी वेबसाइट्स और सोशल मीडिया विज्ञापनों के जरिए ठग श्रद्धालुओं को लुभावने ऑफर देकर ठगने की फिराक में हैं।

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इस खतरे को भांपते हुए साइबर थाना पुलिस ने कमर कस ली है और एक विशेष टीम बनाकर फर्जी पेजों व वेबसाइट्स पर नजर रखना शुरू कर दिया है। बीते वर्ष भी पुलिस ने 82 फर्जी वेबसाइट्स और 45 फेसबुक पेज बंद कराए थे, मगर ठग फिर सक्रिय हो गए हैं।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता

ऐसे बनाते हैं शिकार

साइबर ठग हेलिकॉप्टर कंपनियों के नाम और लोगो का गलत इस्तेमाल कर लोगों का भरोसा जीतते हैं। ये फर्जी वेबसाइट्स बनाते हैं, जो देखने में बिल्कुल असली जैसी लगती हैं। सस्ते टिकट, फ्री सेवा या सीमित छूट जैसे वादों से श्रद्धालुओं को लालच दिया जाता है। इसके बाद पैसे निजी खातों या फर्जी लिंक्स के जरिए मंगवाए जाते हैं। कई लोग बिना जांचे इन जाल में फंस जाते हैं और अपनी मेहनत की कमाई गंवा बैठते हैं।

असली और नकली में फर्क जानें

पुलिस ने साफ किया है कि हेलिकॉप्टर टिकट की बुकिंग सिर्फ IRCTC की आधिकारिक वेबसाइट (www.heliyatra.irctc.co.in) से ही हो सकती है। असली वेबसाइट पर कोई मोबाइल नंबर नहीं होता, जबकि फर्जी साइट्स पर ठग संपर्क नंबर देकर सीधे बात करने की कोशिश करते हैं। साइबर थाना पुलिस ने लोगों से अपील की है कि किसी भी अनजान लिंक, कॉल या विज्ञापन पर भरोसा न करें।

केदारनाथ की यात्रा के लिए हेलिकॉप्टर सेवा श्रद्धालुओं के लिए बड़ी सुविधा है, मगर साइबर ठग इसे नुकसान का जरिया बना रहे हैं। पुलिस की सलाह है कि बुकिंग से पहले वेबसाइट की जांच करें। अगर कोई छूट या मुफ्त टिकट का दावा करता है, तो उस पर यकीन न करें। आपकी एक छोटी सी सावधानी आपको बड़ी मुसीबत से बचा सकती है।

heli service fraud: केदारनाथ धाम की यात्रा को आसान बनाने वाली हेलिकॉप्टर सेवा अब साइबर ठगों के निशाने पर है। फर्जी वेबसाइट्स और सोशल मीडिया विज्ञापनों के जरिए ठग श्रद्धालुओं को लुभावने ऑफर देकर ठगने की फिराक में हैं। इस खतरे को भांपते हुए साइबर थाना पुलिस ने कमर कस ली है और एक विशेष टीम बनाकर फर्जी पेजों व वेबसाइट्स पर नजर रखना शुरू कर दिया है। बीते वर्ष भी पुलिस ने 82 फर्जी वेबसाइट्स और 45 फेसबुक पेज बंद कराए थे, मगर ठग फिर सक्रिय हो गए हैं।

ऐसे बनाते हैं शिकार

असली और नकली में फर्क जानें


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