
संसदीय समिति ने इस मुद्दे पर जानकारी दी है और यह भी बताया कि सेना में करीब 17 प्रतिशत अधिकारियों और 8 प्रतिशत सैनिकों के पद खाली हैं।


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता]
कोविड-19 के दौरान भर्ती में देरी
सैनिकों की कमी के कई कारण हो सकते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान भर्ती प्रक्रिया में दो साल तक देरी हुई, जिससे इस कमी को और बढ़ावा मिला। इस दौरान करीब 1.20 लाख सैनिक रिटायर हो गए, लेकिन नई भर्तियां पर्याप्त संख्या में नहीं हो पाईं। इसके अलावा अग्निवीर योजना जैसे बदलावों ने दीर्घकालिक सैनिकों की संख्या पर असर डाला, जिससे जनशक्ति की कमी और बढ़ी।
रक्षा मंत्रालय का बयान
सेना में सैनिकों की कमी पर रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अग्निपथ योजना के चलते यह कमी पूरी हो जाएगी। इसके अलावा अधिकारियों की कमी को पूरा करने के लिए भी कई कदम उठाए जा रहे हैं। मंत्रालय का कहना है कि चयन प्रक्रिया में सुधार किए गए हैं ताकि भर्ती प्रक्रिया तेज हो सके और अधिकारियों की संख्या में वृद्धि हो सके।
हर साल रिटायर होने वाले सैनिक
भारतीय सेना में हर साल करीब 50,000 से 60,000 सैनिक रिटायर होते हैं, जो उनकी सेवा अवधि पूरी होने पर निर्भर करता है। कोविड-19 के दौरान भर्ती प्रक्रिया रुकने के बावजूद सैनिकों का रिटायरमेंट जारी रहा, जिससे यह संख्या करीब 1.20 लाख तक पहुंच गई। इसने पहले से ही मौजूद जनशक्ति की कमी को और गंभीर बना दिया, क्योंकि इस दौरान नई भर्तियां बहुत कम हुईं।
सरकार के उपाय
सेना इस कमी को पूरा करने के लिए कई उपाय कर रही है। इनमें सर्विस सिलेक्शन सेंटर्स के माध्यम से अधिकारियों की भर्ती को बढ़ावा देना और तकनीकी आधुनिकीकरण पर ध्यान देना शामिल है। हालांकि, यह स्थिति अभी भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, खासकर जब भारत को चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों से सीमा पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस कमी को दूर करने के लिए सरकार को जल्द और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
