जिससे ये साफ नजर आ रहा है कि दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ रही हैं. ये भारत के लिए चिंता का विषय साबित हो सकता है.
यह बदलाव ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच संबंधों में तेजी देखी जा रही है. बांग्लादेश सरकार का यह कदम क्षेत्रीय कूटनीति में एक नई दिशा का संकेत देता है, जिससे भारत की सुरक्षा और विदेश नीति पर असर पड़ सकता है.
वीजा नियमों में बदलाव
2019 में सुरक्षा कारणों से पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा आवेदन के लिए मंजूरी लेना अनिवार्य किया गया था. लेकिन 2 दिसंबर को बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के सुरक्षा सेवा प्रभाग (एसएसडी) ने इस आवश्यकता को समाप्त कर दिया. इस फैसले की घोषणा एक आधिकारिक बयान के जरिए की गई.
खालिदा जिया और पाकिस्तान के उच्चायुक्त की मुलाकात
इस नीति में बदलाव की घोषणा के तुरंत बाद, 3 दिसंबर को पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहमद मारूफ ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की नेता खालिदा जिया से मुलाकात की. खालिदा जिया की पार्टी के पाकिस्तान के साथ ऐतिहासिक रूप से मजबूत संबंध रहे हैं, जबकि बांग्लादेश की मौजूदा अवामी लीग सरकार भारत समर्थक मानी जाती है.
भारत के लिए बढ़ती चिंताएं
बांग्लादेश ने हाल ही में कराची से चटगांव के बीच मालवाहक जहाजों की सीधी आवाजाही की भी अनुमति दी है. यह कदम भारत के लिए आर्थिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से चिंताजनक हो सकता है.
विशेषज्ञों का विश्लेषण
बांग्लादेश की नई नीति पर टिप्पणी करते हुए, सिडनी पॉलिसी एंड एनालिसिस सेंटर के कार्यकारी निदेशक मुबाशहर हसन ने इसे “संतुलन बनाने की कोशिश” बताया. उन्होंने कहा, “बांग्लादेश लगातार भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने की बात करता रहा है, लेकिन भारत की चुप्पी और उसकी पड़ोस नीति की कमजोरियां बांग्लादेश को पाकिस्तान की ओर झुकने के लिए मजबूर कर रही हैं.”
सुरक्षा पर संभावित असर
विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश में बदलता राजनीतिक परिदृश्य भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में चरमपंथी समूहों को सहायता पहुंचा सकता है. सुरक्षा मंजूरी को हटाने का निर्णय भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर सकता है.