इजरायली सेना ने बुधवार को कहा कि उसने गाजा में “टारगेटेड ग्राउंड एक्टिविटीज” शुरू की हैं. यह ऑपरेशन एक दिन पहले हुए हवाई हमले के बाद किया गया, जिसने हमास के साथ दो महीने पुरानी सीजफायर डील तोड़ दी.

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इजरायल डिफेंस फोर्सेज (IDF) के मुताबिक, यह ऑपरेशन मध्य और दक्षिणी गाजा में सुरक्षा ज़ोन बढ़ाने और उत्तर व दक्षिण गाजा के बीच एक बफर ज़ोन बनाने के लिए किया गया. IDF ने बताया, “नेटज़ारिम कॉरिडोर के केंद्र में सेना ने अपना नियंत्रण और मजबूत किया.” जनवरी में हुए सीजफायर समझौते के तहत इजरायल ने नेटज़ारिम कॉरिडोर से अपनी सेना हटा ली थी. यह इलाका गाजा को दो हिस्सों में बांटता है. उत्तर और केंद्रीय गाजा को दक्षिणी हिस्से से अलग करता है, जो मिस्र की सीमा से सटा है. हालांकि, विदेशी सैन्य ठेकेदारों ने अब भी उत्तर और दक्षिण गाजा के बीच चेकपॉइंट्स की निगरानी जारी रखी है.

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

सीजफायर के लागू होने के बाद हजारों फिलिस्तीनी पैदल, गाड़ियों और यहां तक कि गधों पर सफर करते हुए इस कॉरिडोर से गुजरे. इनमें से कई लोग अपने तबाह हो चुके घरों को देखने वापस लौटे. इजरायल ने मंगलवार रात गाजा पर भीषण हवाई हमले किए. गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इन हमलों में 400 से ज्यादा लोग मारे गए. यह युद्ध के सबसे घातक दिनों में से एक रहा.

फैसले को लेकर नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन

बुधवार को यरुशलम में इजरायली संसद के बाहर सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के गाजा में युद्ध फिर शुरू करने के फैसले को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतरे. आलोचकों का कहना है कि नेतन्याहू अपनी अस्थिर सरकार को बचाने के लिए यह कदम उठा रहे हैं. इस बीच, इजरायली रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज़ ने कहा कि “अगर बंधकों को नहीं लौटाया गया और हमास गाजा पर शासन करता रहा, तो गाजा के लोग इसकी पूरी कीमत चुकाएंगे.”

एक इजरायली अधिकारी ने कहा कि गाजा में हवाई हमले सैन्य दबाव बनाने की एक रणनीति हैं. इसका मकसद हमास पर दबाव बनाना है ताकि वह अधिक बंधकों को रिहा करे. अब तक इजरायल 251 में से केवल 8 बंधकों को जिंदा वापस ला सका है. बाकी बंधकों को पहले हुए सीज़फायर डील के तहत फिलिस्तीनी क़ैदियों के बदले रिहा किया गया था.


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