बॉर्डर पार कर भारत में घुसने की कोशिश करते हुए बीएसएफ के हाथों पकड़ी गई बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले के गाजीपुर की वृद्धा ने पद्मा नदी के पार हुए अमानवीय अत्याचार की कहानी बयां की।
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प्रिंट मीडिया,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर
वह फूट-फूटकर रो पड़ीं।
बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले के गाजीपुर थाना क्षेत्र के यथाईसुदपुर गांव की रहने वाली इस वृद्धा की उम्र अधिक होने की वजह से उनकी आंखों की रोशनी कमजोर हो गई है। सामने खड़े लोग भी धुंधले दिखते हैं। बुधवार रात जब वह कंटीले तार को पार कर भारत के उत्तर दिनाजपुर में घुसने की कोशिश कर रही थीं, तब बीएसएफ ने उन्हें पकड़ लिया। इसके बाद उन्होंने पद्मा पार हुए अमानवीय अत्याचारों का वर्णन किया। वृद्धा ने बताया कि वह पांच बेटियों और तीन बेटों की मां हैं। शेख हसीना सरकार के पतन के बाद सितंबर की एक शाम उनके बड़े बेटे को मौलवादियों ने अगवा कर लिया। तब से उसका कोई पता नहीं है। दूसरा बेटा मानसिक संतुलन खो चुका है और ढाका की सड़कों पर भटक रहा है। पांच बेटियों में से दो बेटियां भूख के कारण बीमार होकर दम तोड़ चुकी हैं। उनकी सबसे छोटी बेटी मौलवादियों की दरिंदगी का शिकार बन गई।
वृद्धा ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्होंने अपनी छोटी बेटी को मौलवादियों के हाथों प्रताड़ित होते देखा। अत्याचार के बाद आरोपी उसे घर से उठाकर ले गए। पुलिस को जानकारी देने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा सशस्त्र बल उन्हें रोज घर छोड़ने की धमकी देते रहे। एक दिन सुबह उन्होंने जंगल में अपनी बेटी का शव देखा। चिल्लाकर मदद के लिए पुकारा, लेकिन कोई नहीं आया। शव जंगल में ही पड़ा रहा। इसके बाद उन्हें घर से बाहर निकाल दिया गया। मारपीट कर उन्हें सड़क पर घसीटकर फेंक दिया गया। तब उन्होंने भारत में बेटी के ससुराल आने का फैसला किया। रात के अंधेरे में कंटीले तार को पार करते समय वह बीएसएफ के हाथों पकड़ी गईं। गुरुवार को वृद्धा को रायगंज जिला अदालत में पेश किया गया, लेकिन उनके परिवार का कोई सदस्य उन्हें देखने नहीं आया।
दूसरी ओर, बांग्लादेश के ठाकुरगांव जिले के पीरगंज थाना क्षेत्र की एक अन्य वृद्धा की बेटी को भी मौलवादियों ने उठा लिया। अपनी जान बचाने के लिए वह भी इस पार आने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन भारतीय जवानों के हाथों पकड़ी गईं। खबर मिलते ही उनका छोटा बेटा वहां पहुंचा। वह रायगंज के सुदूर हेमताबाद के भरतपुर में इस्कॉन का प्रचारक है। दोनों वृद्धाओं को रायगंज जिला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया गया, जहां न्यायाधीश ने 14 दिनों की जेल हिरासत का आदेश दिया। दोनों वृद्धाओं ने कहा कि वे भारत में कैद में रहना पसंद करेंगी, लेकिन अब बांग्लादेश वापस नहीं जाएंगी।