सेवा पूरी करने के बाद वापस लौटने वाले अग्निवीरों के पुनर्वास को लेकर प्रदेश सरकार संजीदा है। इसके लिए सैनिक कल्याण सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।

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इस रिपोर्ट में समिति ने इन्हें सरकारी सेवाओं में आयु सीमा में छूट, सरकारी सेवाओं में क्षैतिज आरक्षण व प्राथमिकता के आधार पर आउटसोर्स पर रखने आदि के सुझाव दिए हैं। अब इस रिपोर्ट का शासन में अध्ययन चल रहा है। यह देखा जा रहा है कि यह न्यायिक दृष्टि से भी कितना उचित रहेगा। इसके बाद इस पर आगे का निर्णय लिया जाएगा।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

सैनिक बहुल उत्तराखंड से भी कई युवा इस समय अग्निवीर के रूप में भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अग्निपथ नाम से यह योजना वर्ष 2022 में शुरू हुई थी। इसमें भर्ती होने वालों को अग्निवीर नाम दिया गया है।

2027 में लौटना शुरू होंगे अग्निवीर

पांच साल बाद यानी वर्ष 2027 में अग्निवीर के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले वापस लौटने शुरू हो जाएंगे। इन प्रशिक्षित सैन्य कर्मियों के कल्याण के साथ ही इनके अनुभव का लाभ भी लेना चाह रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सेवा पूरी कर वापस आने वाले अग्निवीरों के लिए पुनर्वास की घोषणा की हुई है। इस कड़ी में कार्मिक विभाग ने अग्निवीरों के पुनर्वास को योजना बनाने के लिए सैनिक कल्याण सचिव दीपेंद्र चौधरी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। यह समिति अपनी रिपोर्ट बनाकर शासन को सौंप चुकी है। इसमें अग्निवीरों को उच्च शिक्षा में सहयोग करने और स्वरोजगार योजनाओं में प्राथमिकता देने के सुझाव भी दिए गए हैं।

अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने कहा कि इस रिपोर्ट का परीक्षण किया जाएगा। इसके सभी बिंदुओं का अध्ययन करने के बाद इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।

नए कलेवर में नजर आएगा विधानसभा मंडप

विधानसभा भवन देहरादून का सभा मंडप नए कलवेर में निखर रहा है। इस सिलसिले में कई कार्य चल रहे हैं। शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा भवन में चल रहे नवनिर्माण कार्यों का अवलोकन किया।

नवनिर्माण कार्यों के तहत विधानसभा के मुख्य प्रवेश द्वार पर राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ स्थापित किया गया है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीद आंदोलनकारियों की स्मृति में शहीद गैलरी का निर्माण किया गया है। इसके अलावा विधानसभा भवन में राज्य के राजकीय चिह्न भी स्थापित किए गए हैं। विधानसभा सदस्यों की बैठक के लिए एक्सटेंशन रूम का भी निर्माण किया गया है।


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