कानपुर में बांग्लादेश के खेले जा रहे दूसरे टेस्ट के चौथे दिन भारतीय बल्लेबाजों का जो तूफानी अंदाज दिखाई पड़ा, वैसा इस फॉर्मेट में यद-कदा ही देखने को मिलता है.

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शुरुआती तीन दिन में मैच में सिर्फ 35 ही ओवरों का खेल हुआ था और वह भी पहले दिन. बाकी दो दिनों पर पूरी तरह से पानी फिर गया था, लेकिन चौथे दिन बांग्लादेश की पहली पारी 233 पर सिमटने के बाद जो देखने को मिला, उसे देखकर बांग्लादेशी गेंदबाजों के होश उड़ गए, तो फैंस ने दांत तले उंगली दबा ली और दिन की समाप्ति के बाद जो आंकड़ा निकलकर आया, वह सभी को हैरान कर गया.

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर

इसलिए अपनी यह रणनीति

अब जबकि मैच के परिणाम के लिहाज से समय बहुत ही कम बचा है या कहें कि भारत के विपरीत जा रहा था, तो यहां से रोहित और जायसवाल ने बांग्लादेश पर प्रचंड हमला करने की रणनीति अपनाई. और भारत ने इस रणनीति पर चायकाल तक पूरी शिद्दत के साथ अमल किया. इसके बाद जो हुआ, वह कदम दर कदम इतिहास रचता गया और भारत ने टेस्ट इतिहास में सबसे तेज 50, 100,150 और 200 रनों के रिकॉर्ड को चकनाचूर कर दिया.

सत्तर सालों में सिर्फ दो बार हुआ ऐसा, लेकिन पहली बार…

इसी के साथ ही ऐसा 21वीं सेंचुरी में पहली बार, तो पिछले 70 साल में सिर्फ दूसरी बार ही ऐसा हुआ, जब किसी टीम ने 35 ओवरों से पहले ही अपनी पहली पारी की घोषणा कर दी. फिर चाहे हालात कैसे भी रहे हों. पिछले 70 सालों में सिर्फ एक और दूसरा उदाहरण साल 2000 में घटित हुआ था, जब इंग्लैंड-दक्षिण अफ्रीका के बीच सेंचुरियन में टेस्ट मैच खेला गया था. तब दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हेंसी क्रोनिए ने सभी को चौंकाते हुए पारी घोषित करके इंग्लैंड को ऐसा लक्ष्य दिया कि इंग्लिश कप्तान नासिर हुसैन भी इस पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं कर सके थे. हालांकि, बाद में हेंसी क्रोनिए ने इस मैच को लेकर मैच फिक्सिंग के सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था.यह मैच तीन दिन के भीतर खत्म हो गया था, लेकिन जो फैसला रोहित ने लिया, वह अपने आप में काफी साहसिक है. अगर भारत कानपुर में अपने पक्ष में परिणाम हासिल करने में सफल रहता है, तो इसकी हमेशा मिसाल दी जाएगी.


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