रणनीति ऐसी होनी चाहिए कि जिससे किसी का भी नुकसान न हो। लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शायद इस रणनीति को समझने में असफल रहे।

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हाल ही में ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को धमकी दी थी कि अगर वे डॉलर को कमजोर करने की कोशिश करेंगे तो अमेरिका उन पर 100 प्रतिशत इम्पोर्ट टैरिफ लगा देंगे।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

लेकिन ये धमकी उल्टी उन्हीं पर भारी पड़ गई। ब्रिक्स यानी ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका का संगठन आज दुनिया की नई आर्थिक शक्ति बनकर उभरा है। इन पांच देशों के अलावा और 11 देश भी इसके सदस्य बन चुके हैं। 30 से अधिक देश ब्रिक्स में शामिल होने के लिए आवेदन भी कर चुके हैं। ये संगठन न केवल वैश्विक व्यापार के नियम बदल रहा बल्कि पश्चिमी देशों के प्रभुत्व को भी चुनौती दे रहा है।

हाल ही में ब्रिक्स देशों ने एक प्रकार के करेंसी लॉन्च करने की संभावनाओं पर चर्चा की। रूस और चीन ने अमेरिकी डॉलर का विकल्प लाने की कोशिश की है। ब्राजील ने भी एक साझा करंसी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन इस पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। इसके साथ ही ब्रिक्स देश एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम डेवलप करने पर विचार कर रहे हैं जो स्विफ्ट पेमेंट का विकल्प होगा। दुनियाभर के देश आपस में व्यापार करने के लिए अमेरिका के स्विफ्ट नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। इसके जरिए अमेरिका बैठे-बिठाए अरबों कमाता है। सभी देशों को मिलाकर ये पैसा करीब 7.8 ट्रिलियन डॉलर है। जिसके बाद ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को धमकी देते हुए कहा कि हमें इन देशों से ये कमिटमेंट चाहिए कि वो न तो नई ब्रिक्स करेंसी बनाएंगे। न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर की जगह किसी दूसरी करेंसी का समर्थन करेंगे। ट्रंप ने कहा कि अगर ब्रिक्स देश ऐसा करते हैं तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।

भारत जैसे देश जो अमेरिका को हर साल 82 बिलियन का सामान निर्यात करते हैं इस कदम से प्रभावित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए भारत अमेरिका को कपड़े और ऑटो पार्ट भेजता है। टैरिफ बढ़ने से इन प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ जाएंगी। इनकी ब्रिकी कम हो सकती है। ट्रंप की धमकी का जवाब भारत ने सख्त लहजे में दिया। भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी विदेश नीति स्वतंत्र है और किसी की धमकी से प्रभावित नहीं होती है। अगर हमें ब्रिक्स करेंसी बनानी होगी तो हम ये जरूर करेंगे।


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