राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण बिल की समिति का कार्यकाल एक माह बढ़ा, विधानसभा अध्यक्ष ने दी अनुमति राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राजकीय सेवाओं में आरक्षण बिल पर गठित प्रवर समिति का कार्यकाल एक माह बढ़ाया गया है। समिति के आग्रह पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने कार्यकाल बढ़ाने की अनुमति दे दी है।

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25 सितंबर को समिति का 15 दिन का कार्यकाल पूरा हो रहा है। प्रदेश सरकार ने पांच से आठ सितंबर को आयोजित विधानसभा मानसून सत्र में राज्य आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को राजकीय सेवाओं में आरक्षण विधेयक पेश किया था, लेकिन विधेयक पर चर्चा के दौरान कई विधायकों ने सवाल उठाए थे।

उनकी मांग थी कि सभी भर्तियों में आंदोलनकारियों को आरक्षण का लाभ दिया जाए। साथ ही जो आंदोलनकारी पहले से सरकारी सेवा में कार्यरत हैं, उनकी सेवा को भी सुरक्षित किया जाए। विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की मांग उठाई थी। इस पर विस अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में प्रवर समिति गठित की।

दूसरी बैठक बुलाने का लिया था निर्णय
इसके साथ ही समिति का कार्यकाल 15 दिन तय किया था। विधानसभा सचिवालय ने 11 सितंबर को प्रवर समिति के गठन की अधिसूचना जारी की। 18 सितंबर को संसदीय कार्यमंत्री की अध्यक्षता में प्रवर समिति की पहली बैठक में आरक्षण बिल पर मंथन हुआ। सदस्यों ने राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों में तलाकशुदा व परित्यक्ता बेटियों को शामिल करने का सुझाव दिया, लेकिन समिति ने सुझावों पर निर्णय लेने के लिए दूसरी बैठक बुलाने का निर्णय लिया था।

प्रवर समिति अभी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंचीं : अग्रवाल

राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को आरक्षण बिल पर प्रवर समिति की पहली बैठक हो चुकी है, लेकिन समिति अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंची है। समिति को 15 दिन का समय मिला था, जो 25 सितंबर को पूरा हो रहा है। समिति तय समय में रिपोर्ट देने की स्थिति में नहीं है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष से समिति का कार्यकाल बढ़ाने का आग्रह किया गया है। – प्रेमचंद अग्रवाल, अध्यक्ष, प्रवर समिति

प्रवर समिति की ओर से कार्यकाल बढ़ाने का आग्रह किया था। इस पर समिति का कार्यकाल एक माह बढ़ाने की अनुमति दी गई है। -ऋतु खंडूड़ी भूषण, अध्यक्ष विधानसभा

Hindustan Global Times, Avtar Singh Bisht, journalist from Uttarakhand

समिति में ये सदस्य

प्रवर समिति में विधायक मुन्ना चौहान, विनोद चमोली, उमेश शर्मा काऊ, भुवन कापड़ी, मनोज तिवारी, मोहम्मद शहजाद शामिल हैं।

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी के विभिन्न संगठन समूह एवं मंच के द्वारा आक्रोश व्यक्ति किया गया है। प्रवर समिति के द्वारा एक माह का समय और बढ़ने पर राज्य आंदोलनकारियो में जबरदस्त आक्रोश है। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के केंद्रीय अध्यक्ष जगमोहन नेगी, प्रदीप, कुकरेती , चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति धीरेंद्र प्रताप, अवतार सिंह, बाल गोविंद डोभाल, अनिल जोशी, डॉ विजेंद्र पोखरियाल, नवीन नेथानी, सावित्री नेगी, और भी तमाम संगठनों ने आक्रोश व्यक्ति किया है। रणनीति पर चर्चा चल रही है। राज्य आंदोलनकारीयो के बीच में किसी भी तरह का कोई मतभेद नहीं है। सभी राज्य आंदोलनकारी एकजुट के साथ ऐतिहासिक आंदोलन की रूपरेखा बनाने में लगे हैं। बहुत जल्दी शहीद स्मारक देहरादून में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के द्वारा मीटिंग बुलाई जा सकती है। संयुक्त मंच के तत्वाधान में हो सकता है आंदोलन, राज्य आंदोलनकारी का स्पष्ट कहना है मोदी के नाम पर सत्ता में बैठे नेता आज राज्य आंदोलनकारी की अनदेखी कर रहे हैं ।लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड से भारतीय जनता पार्टी का सपुरा साफ कर दिया जाएगा।


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