
नेपाल भारत की सीमा से सटा एक छोटा मगर महत्वपूर्ण देश है, जिसके बारे में आम तौर पर बात होती है तो लोगों के जेहन में हिमालय, बौद्ध मठ, पशुपतिनाथ मंदिर या वहां की शांत आबोहवा का चित्र उभरता है। लेकिन इसी नेपाल के सीमाई इलाकों में एक और दुनिया आबाद है—केसिनो की दुनिया। यह दुनिया चमक-दमक, ब्रांडेड शराब, विदेशी डांस और मोटी रकम के खेल की है। भारत के उत्तराखंड के रुद्रपुर उधम सिंह नगर, उत्तर प्रदेश के बरेली, बिलासपुर और खटीमा जैसे सीमावर्ती इलाकों के लोग बड़े पैमाने पर नेपाल के इन केसिनो की ओर आकर्षित हो रहे हैं। हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स ने इस पूरे तंत्र की गहन पड़ताल की, जिसके नतीजे चौंकाने वाले भी हैं और सीख देने वाले भी।
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट


कैसे होती है केसिनो में एंट्री?
नेपाल के केसिनो में एंट्री इतनी आसान भी नहीं है जितनी लोग सोचते हैं। सबसे पहले, भारतीय नागरिकों को अपना आधार कार्ड दिखाना पड़ता है। सत्यापन के बाद उन्हें चार अंकों का एक विशेष नंबर दिया जाता है। इसी नंबर के आधार पर व्यक्ति केसिनो में प्रवेश कर सकता है और वहां न्यूनतम ₹5000 की गेमिंग करेंसी खरीदनी होती है। यानी बिना रकम लगाए आप भीतर सिर्फ घूमने तक सीमित नहीं रह सकते, हालांकि कुछ लोग केवल खाने-पीने और मौजमस्ती के लिए भी अंदर जाते हैं लेकिन उन्हें भी एंट्री कार्ड लेना ही होता है।
कैसा होता है खेल का माहौल?केसिनो के अंदर कदम रखते ही एक अलग ही माहौल मिलता है। चारों ओर रंग-बिरंगी लाइटें, म्यूजिक, विदेशी लड़कियों के डांस और सैकड़ों की संख्या में लगी चरखी (रुलेट) टेबल और ताश के खेल की मेजें। सबसे लोकप्रिय गेम “चरखी” है, जिसमें 36 अंकों वाली घूमती हुई चरखी होती है। उसमें एक गोली छोड़ी जाती है और जिस अंक पर गोली रुकती है, वही जीत का नंबर होता है। बाकी 35 अंक हार जाते हैं। यह एक ऐसा खेल है, जहां किस्मत और हार-जीत का अंतर कुछ ही पलों में लाखों तक पहुँच सकता है।
इसके अलावा ताश के कई वेरिएंट जैसे ब्लैकजैक, पॉकर, बैकाराट आदि के मेज पर खिलाड़ी बैठे रहते हैं। हर दांव पर केसिनो को एक निश्चित हिस्सा “कट” के रूप में मिलता है, भले ही खिलाड़ी जीतें या हारें। यानी केसिनो का घाटा नाममात्र ही होता है।
शराब और शौक की महफिल
केसिनो में सुबह 11 बजे से ही ब्रांडेड शराब, विदेशी बियर और 50-60 प्रकार के शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजन पूरी तरह मुफ्त परोसे जाते हैं। जैसे-जैसे शाम ढलती है, माहौल और रंगीन होता जाता है। मंच पर ग्रुप डांस, सिंगल डांस, विदेशी परफॉर्मर की पेशकश, और म्यूजिकल नाइट्स केसिनो को और भी लुभावना बना देती हैं।
यहां तक कि अगर आप देर रात तक खेलते रहते हैं या भारी दांव लगाते हैं, तो रहने की व्यवस्था भी निशुल्क होती है। नेपाल सीमा पार करने के बाद सोमू की स्कॉर्पियो” या लक्ज़री गाड़ियां केसिनो तक निशुल्क ले जाती और छोड़कर भी आती हैं। यह सुविधा खास तौर पर उन लोगों को दी जाती है जो बड़ी रकम लेकर आते हैं या केसिनो के नियमित ग्राहक बन चुके हैं।
एजेंट और अफवाहों की हकीकत?कई बार अफवाह उड़ती है कि नेपाल केसिनो तक एजेंट लाते हैं और कमीशन लेते हैं। हमारी जांच में यह तथ्य सामने आया कि केसिनो जाने वाला कोई भी व्यक्ति अपनी मर्जी से जाता है। कोई ज़बरदस्ती नहीं होती। न ही वहां कोई ऐसा एजेंट मिला, जो लोगों को बरगलाकर केसिनो तक लाए और कमीशन वसूल करे। यह भी सच है कि वहां जाने वाले अधिकतर लोग पहले से ही जानते हैं कि वे क्या करने जा रहे हैं। सब कुछ पारदर्शिता के साथ होता है।
नेपाल सरकार ने खुद ही यह नियम बना रखा है कि नेपाल के नागरिकों को केसिनो में एंट्री की अनुमति नहीं है। सिर्फ भारतीय और विदेशी नागरिक ही वहां केसिनो में खेल सकते हैं।
हार-जीत का खेल और “रीफंड” की हकीकत,केसिनो में खेलना जितना आसान दिखता है, असलियत में उतना ही खतरनाक है। जीत और हार के बीच फासला कभी-कभी लाखों में चला जाता है। कई लोग अपनी किस्मत आजमाने बार-बार आते हैं, और जब हार जाते हैं, तो अगली बार जीतने की आस लिए फिर लौटते हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अगर कोई व्यक्ति भारी रकम हारता है, जैसे एक लाख रुपये या उससे अधिक, तो केसिनो उसे करीब 3% रकम “रीफंड” के तौर पर लौटा देते हैं। यानी एक लाख हारने पर 3000 हजार रुपये लौटा दिए जाते हैं, ताकि खिलाड़ी पूरी तरह टूट न जाए और फिर लौट कर केसिनो में आए। अगर किसी के पास घर लौटने तक का किराया नहीं बचता, तो केसिनो खुद उसे टिकट तक उपलब्ध कराते हैं। हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की टीम ने एक व्यक्ति को देखा जिसने केसिनो के बाहर आते ही कहा, “भाई साहब, सब कुछ हार गया, 500 रुपये किराया दे दो।” यह किस्सा केसिनो की असली दुनिया को उजागर करता है।
युवाओं की कम, बुजुर्गों की ज्यादा मौजूदगी?एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि केसिनो में युवाओं की संख्या अपेक्षाकृत कम थी। हमारी पड़ताल में पता चला कि उम्रदराज लोग, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, काफी बड़ी संख्या में केसिनो खेल रही थीं। कुछ तो ऐसे भी लोग मिले, जो हर महीने 25-26 दिन नेपाल में रहते हैं, वहीं खाना-पीना, रहना और सीमित बजट में केसिनो खेलना उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है। उनके लिए यह सिर्फ जुआ नहीं, बल्कि एक “सोशल लाइफस्टाइल” बन गया है।
न फोटो, न वीडियो—क्यों?केसिनो के अंदर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर सख्त पाबंदी है। वजह साफ है—यहां गोपनीयता और खिलाड़ियों की पहचान सुरक्षित रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसलिए कोई फोटो खींचते पकड़ा गया, तो उसे तुरंत बाहर कर दिया जाता है।
केसिनो: सिर्फ मजा या लत?नेपाल के केसिनो को लेकर लोग दो धड़ों में बंटे हुए हैं। एक धड़ा इसे मौज-मस्ती और लाइफस्टाइल का हिस्सा मानता है, जहां लोग अपनी मर्जी से जाते हैं, अपनी सीमा में खर्च करते हैं और मनोरंजन करते हैं। दूसरी तरफ, कई लोग इसे जुए की लत का खतरनाक अड्डा मानते हैं, जहां लोग अपना घर-बार तक दांव पर लगा बैठते हैं।सच यह है कि केसिनो की दुनिया चकाचौंध से भरी जरूर है, लेकिन यह हर किसी के लिए सुरक्षित या फायदेमंद नहीं है। अगर समझदारी से खेला जाए, तय सीमा में रहा जाए, तो यह मनोरंजन हो सकता है। लेकिन अगर कोई जीत की आस में बार-बार हार का पीछा करे, तो यह बर्बादी का रास्ता भी बन सकता है।
जागरूकता ही बचाव?हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की इस विशेष पड़ताल का उद्देश्य लोगों को डराना नहीं, बल्कि जागरूक करना है। केसिनो का सच यह है कि वहां जबरदस्ती, जबरन एजेंट, या कोई गिरोह नहीं बैठा है। लोग अपनी मर्जी से जाते हैं। लेकिन जुआ हमेशा जोखिम भरा खेल है।
युवाओं को खासकर समझना चाहिए कि चकाचौंध के पीछे एक ऐसा संसार भी है, जहां हर कोई जीतकर नहीं लौटता। यदि मनोरंजन के लिए जाना भी हो, तो सीमा तय करें, अपना नुकसान सहने की क्षमता समझें और किसी भी परिस्थिति में उधारी या घर-परिवार की जमा पूंजी को दांव पर न लगाएँ।
क्योंकि जीत सिर्फ एक चक्कर की होती है, लेकिन हार कई बार पूरी जिंदगी बदल देती है।
– हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स विशेष संवाददाता
डायमंड ओपेरा” असल में नेपाल-भारत सीमा इलाकों में चलने वाले छोटे स्तर के कसीनो थिएटर या मिनी-कसीनो जैसे ऑपरेशन्स का लोकल नाम है। महेंद्रनगर (कंचनपुर जिला, सुदूर पश्चिम नेपाल) में ऐसे तीन अलग-अलग “डायमंड ओपेरा” चल रहे हैं। ये आम तौर पर निम्नलिखित प्रकार से कार्य करते हैं:डायमंड ओपेरा – नया बसपार्क शाखा,स्थान: नया बसपार्क क्षेत्र, महेंद्रनगर,समय: दोपहर 11 बजे से रात 12 बजे तक
- विशेषता: यह नया ओपेरा है, यहां डिजिटल स्क्रीन स्लॉट मशीनें ज्यादा हैं, और बड़े दांव लगाने वाले भारत से ग्राहक अधिक आते हैं। यहां शराब-सिगरेट भी आसानी से सर्व होती है।
( डायमंड ओपेरा – शिलिगुड़ी रोड शाखा
- स्थान: महेंद्रनगर, शिलिगुड़ी रोड पर, होटल के पीछे के हिस्से में
- समय: 11am बजे से रात 2 बजे तक
- विशेषता: यह तीसरा ओपेरा थोड़ा गुप्त तरीके से चलता है। इसे हाई-स्टेक्स (High Stakes) गेम्स के लिए जाना जाता है। यहां बड़े खिलाड़ियों का जमावड़ा होता है, जिनमें भारतीय व्यापारी, ट्रक ड्राइवर, और दलाल शामिल होते हैं। अक्सर ‘नो मोबाइल फोन’ रूल लागू रहता है ताकि फुटेज बाहर न जाए।
इन तीनों में ग्राहक ज़्यादातर भारत के उत्तराखंड (जैसे खटीमा, बनबसा, टनकपुर, बरेली, बिलासपुर) और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों से आते हैं।
नेपाल कीअर्थव्यवस्था में कसीनो का रोल
नेपाल की अर्थव्यवस्था में कसीनो का रोल काफी दिलचस्प और कंट्रोवर्शियल है। आइए बिंदुवार समझते हैं:विदेशी मुद्रा कमाई का स्रोत,नेपाल सरकार के राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, कसीनो सेक्टर से सालाना 3–4 अरब नेपाली रुपए टैक्स और फीस मिलती है।भारतीय पर्यटकों के कारण नेपाल की विदेशी मुद्रा (डॉलर और भारतीय रुपये) आमदनी में बड़ा योगदान होता है।कसीनो इंडस्ट्री करीब 15,000–20,000 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देती है, जैसे डीलर, सिक्योरिटी, वेटर, कैशियर, टेक्नीशियन आदि। होटल और पर्यटन को बूस्ट,बड़े होटल अक्सर कसीनो के साथ ही चलते हैं। इससे होटल सेक्टर की कमाई बढ़ती है।
- महेंद्रनगर जैसे छोटे बॉर्डर शहरों में भी होटल-लॉज कसीनो विजिटर्स पर निर्भर होते हैं। ब्लैक मनी और अपराध का खतरा,कसीनो सेक्टर में मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला, ड्रग्स, और मानव तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों की आशंका बनी रहती है।नेपाल के “प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट” के बावजूद, ग्राउंड पर कड़ी निगरानी की कमी है।
सामाजिक असर,नेपाल और भारत दोनों ही देशों के लोग कसीनो में भारी रकम हार कर आर्थिक संकट में फंस जाते हैं। कई परिवार बर्बाद होते हैं।
- कसीनो एडिक्शन (जुआ लत) नेपाल में तेजी से बढ़ती सामाजिक समस्या बन रही है।
कुल मिलाकर, नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए कसीनो एक दोधारी तलवार हैं –राजस्व और रोजगार में मददगार, लेकिन सामाजिक और आपराधिक जोखिमों के साथ।
महेंद्रनगर में “डायमंड ओपेरा” के तीन ऑपरेशन्स अलग-अलग जगहों और समय पर चलते हैं, जिनका बड़ा ग्राहक वर्ग भारत से आता है।
नेपाल के बॉर्डर पर भारतीय यात्रियों को अधिकतम ₹25,000 नकद ले जाने की अनुमति है। ऐसे में सवाल उठता है कि लोग नेपाल के कैसीनो में लाखों-करोड़ों का जुआ कैसे खेलते हैं। असल में, उत्तराखंड और यूपी के कुछ खास लोगों का नेटवर्क हर बड़े शहर में सक्रिय है। जो भी व्यक्ति बड़ी रकम नेपाल में खेलना चाहता है, वह अपने शहर में ही इन एजेंटों के पास पैसे जमा कर देता है। नेपाल पहुँचते ही वही एजेंट नेटवर्क खिलाड़ी को नेपाल में उसकी जमा रकम के बराबर चिप्स या कैश उपलब्ध करवा देता है। जीत की स्थिति में खिलाड़ी नेपाल से रकम लाने के बजाय अपने शहर लौटकर एजेंट से जीत की रकम ले सकता है। यह पूरा सिस्टम हवाला की तरह काम करता है। दिलचस्प बात यह है कि इस अवैध धंधे में भी ‘ईमानदारी’ को बड़ी प्राथमिकता दी जाती है, ताकि ग्राहक का भरोसा बना रहे और कारोबार फलता-फूलता रहे। यही वजह है कि नेपाल के कैसीनो और इससे जुड़े गुप्त लेनदेन का धंधा लगातार बढ़ता जा रहा है, जो काले धन, हवाला और संगठित अपराध की जड़ें और गहरी कर रहा है।

