अमेरिका अक्सर दुनिया भर में मानवाधिकारों, नैतिक और मानवीय मूल्यों पर आधारित नीति की वकालत करता रहा है। यह अलग बात है कि व्यवहार में कई बार वह खुद ऐसे कठघरे में खड़ा दिखता है, जो उसकी घोषित प्रतिबद्धताओं से उलट होने का संकेत देता है।

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अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों की पहचान और उन्हें उनके देश भेजने के मसले पर वह अपने पक्ष को सही बता सकता है, लेकिन इस पर अमल के जैसे तौर-तरीके सामने आए हैं, उससे दुनिया भर में हैरानी और चिंता का भाव है। गौरतलब है कि अमेरिका में कथित तौर पर वैध दस्तावेजों के बिना रह रहे सौ से ज्यादा भारतीय प्रवासियों को लेकर अमेरिकी सेना का एक विमान भारत पहुंच चुका है।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

गैरकानूनी तरीके से अमेरिका में रहने वाले लोगों को नियमों के मुताबिक वापस भेजना अमेरिका का नीतिगत फैसला हो सकता है, लेकिन इस क्रम में ऐसे लोगों को अपराधियों के समकक्ष मान कर उनके साथ वैसा ही व्यवहार करने को किस तर्क पर सही कहा जा सकता है? ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जिनमें अवैध प्रवासी भारतीय लोगों को बेड़ियां और हथकड़ी बांध कर सेना के एक विमान से भेजा गया। इस क्रम में लौटने के बाद कुछ लोगों ने अपना दुख जाहिर किया कि उन्हें कैदियों या अपराधियों की तरह लाया गया और यात्रा के दौरान जानबूझ कर तकलीफदेह हालात का सामना करने पर मजबूर किया गया।

अपराधियों की तरह बर्ताव किए जाने का रवैया उचित ठहराया

अफसोस की बात है कि तमाम सवालों को ताक पर रख कर अमेरिकी प्रशासन ने इस मुद्दे पर जैसा रवैया अपनाया है, उससे डोनाल्ड ट्रंप के इस दूसरे कार्यकाल में नीतिगत मसलों पर अमल के भावी तौर-तरीकों के बारे में संकेत मिलता है। अगर उचित दस्तावेजों के बिना अमेरिका में रह रहे लोगों को भारत वापस भेजना अनिवार्य है, तो उनके साथ पेशेवर अपराधियों की गिरफ्तारी की तरह का बर्ताव किए जाने को कैसे उचित ठहराया जाएगा?

स्वाभाविक ही इस रवैये की खुद अमेरिका में भी तीखी आलोचना हुई है। वहीं भारत में विपक्ष ने यह सवाल उठाया है कि अमेरिका से भेजे गए प्रवासियों के साथ जैसा बर्ताव किया गया है, उस पर सरकार की ओर से कोई ठोस आपत्ति क्यों नहीं दर्ज की गई या कोई व्यावहारिक हल क्यों नहीं निकाला गया? एक ओर भारतीयों को कैदियों की तरह भेजे जाने पर सरकार की चुप्पी बनी रही, दूसरी ओर ट्रंप ने जब कोलंबिया के अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की घोषणा की, तो वहां के राष्ट्रपति ने अपने नागरिकों की ‘गरिमा’ को बरकरार रखने के लिए वायुसेना के दो विमान उन्हें लाने के लिए भेजे।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वालों को भी अपराधियों की तरह भेजा गया

ऐसा नहीं है कि अमेरिका से कोई पहली बार अवैध प्रवासियों को वापस भेजा गया है। मगर डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद अवैध प्रवासियों सहित कुछ अन्य मुद्दों पर अमेरिकी प्रशासन का जैसा रवैया दिख रहा है, उसका औचित्य समझ से परे है। क्या इस बात की संभावना नहीं है कि बहुत सारे भारतीय वहां काम करने के परमिट के साथ गए होंगे, लेकिन उसकी अवधि खत्म हो जाने के बाद वे अवैध प्रवासियों की श्रेणी में आ गए?

कामकाज के दौरान उन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी अपना योगदान दिया होगा। अगर वैसे लोग भी अवैध प्रवासी के रूप में चिह्नित कर लिए गए हों तो उनके साथ कैसे व्यवहार की अपेक्षा की जानी चाहिए? मानवाधिकारों के सवाल पर आए दिन दूसरे देशों को कठघरे में खड़ा करने वाले अमेरिका को क्या इस मसले पर न्यूनतम मानवीय और संवेदनशील रुख नहीं अपनाना चाहिए?


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