
अब इसके उलट तमिलनाडु में एक ऐसा मंदिर सामने आया है, जहां पर बिना नींव के मंदिर बना हुआ है। वैसे तमिलनाडु में विभिन्न युगों में राजाओं द्वारा कई भव्य मंदिरों का निर्माण किया गया। इस मंदिर की खास बात ये है कि इसे पहाड़ी को काटकर बनाया गया है। यह मंदिर पहाड़ी के अन्य किसी भी स्थान से दिखाई नहीं देता। इसे दक्षिण भारत के एलोरा के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की स्थापत्य कला और निर्माण शैली इसे देखने वालों को हैरत में डाल देती है। पहाड़ी क्षेत्र में बसी यह संरचना वहां के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ एकरूप हो जाती है, जिससे यह और भी अद्वितीय नजर आती है।


हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
8वीं शताब्दी में हुआ निर्माण
जानकारी के मुताबिक यह मंदिर तमिलनाडु के तंजौर मंदिर से भी प्राचीन माना जाता है। जानकारी के मुताबिक इसका निर्माण पांड्य राजा मरंजदायन ने कलगुकुमाला केतवान कुदैवर मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में करवाया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर को ‘बी’ आकार की एक बड़ी पहाड़ी को ऊपर से नीचे तक तराशकर बनाया गया है। उस समय के कारीगरों की कुशलता का प्रमाण यह है कि पहाड़ी को काटकर एक पूर्ण मंदिर का आकार देना अपने आप में एक चमत्कार जैसा है।
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भगवान शिव के समर्पित किया गया है मंदिर
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। शिव भक्तों के लिए यह स्थान विशेष महत्व रखता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बिंदु है, जो भक्तों को शांति और सुकून प्रदान करता है। हालांकि मंदिर के विमानों और टावरों पर मूर्तियां उकेरी गई हैं, फिर भी कुछ कारणों से यह मंदिर अधूरा प्रतीत होता है। इसकी अधूरी संरचना और अनोखी शैली इसे और भी रहस्यमय बनाती है। जानकारी के लिए बता दें कि इश मंदिर को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि किसी कारणवश इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया था। कुछ लोग मानते हैं कि उस समय अचानक किसी युद्ध या प्राकृतिक आपदा के कारण यह अधूरा रह गया। वहीं, कुछ विद्वानों का मानना है कि मंदिर निर्माण के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी के कारण इसे पूरा नहीं किया जा सका।
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