ऐसे में पहाड़ी शहर में पर्यटकों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है.
बता दें कि 1,370 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नैनीताल जिले की सबसे बड़ी झील भीमताल दिल्ली-एनसीआर के पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. वे चिलचिलाती गर्मी से बचने के लिए यहां आते हैं. जलस्तर में गिरावट पर बोलते हुए क्लाइमेट एक्टिविस्ट पूरन चंद बृजवासी ने कहा कि अधिकारियों द्वारा झील की लगातार उपेक्षा और झील में क्षेत्र के कई नालों के बहने से स्थिति और खराब हो गई है.
पूरन चंद बृजवासी ने कहा कि झील की आखिरी बार सफाई ठीक से 1998 में की गई थी. आस-पास के इलाकों से कई बड़े नाले इस झील में सीवेज, गाद और कचरा लाते हैं. उन्होंने कहा कि हम सरकार से बार-बार अनुरोध कर रहे हैं कि सीवेज और गाद को बहने से रोका जाए और गर्मियों के दौरान झील से गाद निकालने में मदद की जाए.
उन्होंने कहा कि भीमताल झील की गहराई 1985 में 22 मीटर दर्ज की गई थी, लेकिन अब यह घटकर 17 मीटर रह गई है. इस गिरावट का कारण सरकारी एजेंसियों की निरंतर उपेक्षा हो सकती है. झील के गिरते जलस्तर ने शहर के पर्यटन उद्योग को भी प्रभावित किया है.
कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के पूर्व पर्यटन विकास अधिकारी विपिन सी पांडे ने कहा कि झील क्षेत्र के पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण है और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र में कोई भी बदलाव लोगों की आजीविका को प्रभावित कर सकता है. पांडे ने कहा कि एक समय था जब इस क्षेत्र में 60 छोटी-बड़ी झीलें थीं, लेकिन अब बहुत कम बची हैं. यह झील पूरे भारत के पर्यटकों को अट्रैक्ट करती है. बोटिंग, कयाकिंग, पैरासेलिंग और अन्य एडवेंचर एक्टिविटी से अच्छी खासी कमाई होती है. उन्होंने कहा कि झील में पानी का स्तर कम होने से हजारों लोगों की आजीविका प्रभावित होगी, जो होटल और रिसॉर्ट सहित पर्यटन उद्योग पर निर्भर हैं.