
इन गद्दारों ने न केवल देश के वीर राजाओं को पराजित कराया, बल्कि विदेशी आक्रांताओं को यहां पांव जमाने का मौका भी दिया.


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
इतिहास के पन्नों को पलटने पर ऐसे कई नाम सामने आते हैं, जिन्होंने विदेशी शासकों के साथ मिलकर अपने ही देशवासियों के खिलाफ साजिशें रचीं. जयचंद से लेकर मीर जाफर तक, इन गद्दारों की भूमिका भारत के अतीत में काले धब्बे की तरह दर्ज है. आइए जानते हैं उन पांच बड़े गद्दारों के बारे में, जिनकी वजह से भारत लंबे समय तक गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा रहा.
जयचंद ने दिया मोहम्मद गौरी का साथ
राजा पृथ्वीराज चौहान और जयचंद का विवाद इतिहास में प्रसिद्ध है. दिल्ली के राजसिंहासन पर पृथ्वीराज चौहान के बैठने से जयचंद असंतुष्ट था. इसके अलावा, पृथ्वीराज चौहान द्वारा जयचंद की बेटी संयोगिता को स्वयंवर से भगाकर ले जाना भी इस रंजिश का कारण बना. जयचंद ने बदला लेने के लिए मोहम्मद गौरी का साथ दिया. परिणामस्वरूप, पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गौरी के हाथों पराजित हुए. हालांकि, गौरी ने युद्ध जीतने के बाद जयचंद को भी खत्म कर दिया.
पोरस के खिलाफ आंभीराज
राजा आंभीराज पौरव प्रदेश के राजा पर्वतेश्वर (पोरस) के प्रतिद्वंद्वी थे. पोरस की शक्ति और लोकप्रियता से ईर्ष्या के चलते आंभीराज ने स्वेच्छा से सिकंदर की अधीनता स्वीकार कर ली और पोरस के खिलाफ युद्ध में ग्रीक आक्रांता का साथ दिया. उनकी इस गद्दारी ने भारतीयों की हार को सुनिश्चित किया और सिकंदर को भारत में आगे बढ़ने का अवसर दिया.
महाराणा प्रताप का विश्वासघाती था मानसिंह
महाराणा प्रताप और मुगलों के संघर्ष के समय मानसिंह का नाम गद्दारों में शुमार हुआ. जब महाराणा प्रताप जंगलों में संघर्ष कर रहे थे, तब मानसिंह मुगलों की ओर से उनकी हार सुनिश्चित करने की साजिशें रच रहा था. हल्दीघाटी के युद्ध में मानसिंह ने मुगल सेना का नेतृत्व किया और महाराणा प्रताप के खिलाफ लड़ाई लड़ी. हालांकि, इतिहास ने मानसिंह को गद्दार के रूप में ही याद रखा.
मीर जाफर की बदौलत आई अंग्रेजी हुकूमत
भारत में अंग्रेजों के शासन की नींव रखने में मीर जाफर की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही. बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला का सेनापति मीर जाफर अंग्रेजों के बहकावे में आ गया और नवाब के खिलाफ षड्यंत्र रचकर उसे पराजित करवा दिया. नवाब की हार के बाद मीर जाफर ने सत्ता संभाली, लेकिन अंग्रेजों की कठपुतली बनकर रह गया. उसकी गद्दारी इतनी कुख्यात हुई कि उसकी हवेली को ‘नमक हराम की हवेली’ कहा जाने लगा.
राजा नरेंद्र सिंह ने 1857 की क्रांति को किया कमजोर
1857 की स्वतंत्रता संग्राम में भारतीयों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था, लेकिन पटियाला के महाराजा नरेंद्र सिंह ने अंग्रेजों का साथ देकर इस क्रांति को कुचलने में मदद की. उन्होंने अंग्रेजों को हर वह संसाधन उपलब्ध कराया, जिससे भारतीय सैनिकों और क्रांतिकारियों के आंदोलन को दबाया जा सके. उनकी इस गद्दारी के कारण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को बड़ा झटका लगा.
