सीरिया में तख्तापलट हो गया है. सीरिया के विद्रोही गुटों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर चले गए हैं. इसी के साथ सीरिया में बशर अल-असद के शासन का अंत हो गया है.

Spread the love

सीरिया पर अल-असद का परिवार 53 वर्षों से शासन कर रहा था.

राजधानी दमिश्क पर विद्रोहियों का कब्जा होते ही लोगों ने बशर अल असद के पिता की मूर्ति को तोड़ दिया. ऐसा कई देशों में देखा जा चुका है कि जो कल तक देश के लिए मसीहा हुआ करते थे, लोगों ने तख्तापलट के बाद उनकी मूर्तियों को तोड़ना तक शुरू कर दिया. आइये जानते हैं कि तख्तापलट के बाद किन तानाशाहों और नेताओं की मूर्तियों को तोड़ दिया गया.

हाफिज अल-असद- सीरिया

साल 1971 में बशर अल असद के पिता हाफिज अल असद ने सीरिया में तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथों में ले ली थी. उन्होंने अपने खिलाफ विद्रोह को हिंसक रूप से दबा दिया था.

सीरिया के विद्रोही गुटों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा करते ही भगोड़े राष्ट्रपति बशर अल असद के पिता हाफिज अल-असद की मूर्ति को तोड़ दिया था. वो एक सीरियाई राजनीतिज्ञ और सेना के अधिकारी थे. वो 1971 से 2000 में अपनी मृत्यु तक सीरिया के 18वें राष्ट्रपति थे.

सद्दाम हुसैन- इराक

सद्दाम हुसैन दो दशक से अधिक समय तक इराक के शासक थे. उनका जन्म साल 1937 के अप्रैल महीने में इराक के उत्तर में स्थित तिकरित के एक गांव में हुआ था. साल 1957 में उन्होंने बाथ पार्टी की सदस्यता ली जो अरब राष्ट्रवाद के एक समाजवादी रूप का अभियान चला रही थी.

साल 1962 में इराक में विद्रोह हुआ था और ब्रिगेडियर अब्दुल करीम कासिम ने ब्रिटेन के समर्थन से चल रही राजशाही को हटाकर सत्ता अपने कब्जे में कर ली. इसके बाद 1968 में फिर विद्रोह शुरु हुआ और सद्दाम हुसैन ने जनरल अहमद हसन अल बक्र के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा कर लिया था.

9 अप्रैल 2003 को इराक के बगदाद के फिरदोस स्क्वायर में सद्दाम हुसैन की एक बड़ी प्रतिमा को इराकी नागरिकों और अमेरिकी सैनिकों ने गिरा दिया गया था. इस घटना को पूरे विश्व की मीडिया ने कवर किआ था. इसे इराक में सद्दाम के शासन के अंत के प्रतीक के रूप में माना जाता है.

मुअम्मर अल गद्दाफी- लीबिया

उनका पूरा नाम मुअम्मर मोहम्मद अबू मिनयार गद्दाफी था. पूरी दुनिया कर्नल गद्दाफी के नाम से जानती है। केवल 27 साल की उम्र में लीबिया में तख्तापलट कर उन्होंने करीब 42 साल तक राज किया। उनका अंत सिर्त शहर में एक नाटो सैन्य हमले में हुआ था.

लीबिया के त्रिपोली में 2011 में विद्रोही लड़ाकों ने कर्नल गद्दाफी के बाब अल-अजीजिया परिसर पर कब्जा कर लिया था. उन्होंने इस दौरान गद्दाफी की मूर्ति को गिरा दिया था. 25 एकड़ का महल का मैदान अब कूड़े के ढेर, बाजार और पालतू जानवरों के एम्पोरियम का घर है.

शेख मुजीबुर्रहमान

अगस्त में बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ था. इसके बाद अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना बांग्लादेश छोड़कर भारत भाग आई थीं. इसके बाद लोगों ने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को तोड़ दिया था.

बांग्लादेश को आजादी में दिलाने में शेख मुजीबुर्रहमान ने अहम योगदान दिया था. आजादी के बाद शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बने थे. उन्हें बंगबंधु की उपाधि भी मिली थी. उन्हें बांग्लादेश का राष्ट्रपिता भी माना जाता हैं. उनकी गिनती दुनिया के तानाशाहों में नहीं होती है.

व्लादिमीर लेनिन- यूक्रेन

रूसी क्रांति का जनक व्लादिमीर लेनिन को माना जाता है. साल 1917 में रूसी क्रांति सफल हुई और फरवरी 1917 में जार शासन का अंत हो गया. इसे बोल्शेविक क्रांति के नाम से भी जाना जाता है.

सोवियत संघ के पतन के बाद यूक्रेन में व्लादिमीर लेनिन के स्मारकों को गिरा दिया था. 1990 के दशक में ये बहुत तेजी से हुआ था. इसके अलावा यूक्रेन के कुछ पश्चिमी शहरों में व्लादिमीर लेनिन के स्मारकों को गिरा दिया गया था.

डीए राजपक्षे- श्रीलंका

डीए राजपक्षे एक श्रीलंकाई राजनेता और संसद सदस्य थे, जिन्होंने 1947 से 1965 तक हंबनटोटा जिले में बेलिएट्टा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें भी दुनिया के तानाशाहों में से एक नहीं माना जाता है.

श्रीलंका में मई 2022 में हुए जनविद्रोह में लोगों ने महिंदा राजपक्षे और गोटबाया राजपक्षे के पिता डीए राजपक्षे की प्रतिमा को गिरा दिया था. इस दौरान प्रदर्शनकारियों का कहना था कि राजपक्षे परिवार की वजह से ही देश को नुकसान हुआ और अर्थव्यवस्था गर्त में पहुंच गई.


Spread the love