छात्र राजनीति ने उत्तराखंड को ऐसे राजनीतिक दिग्गज , जिन्होंने देश-दुनिया में उत्तराखंड की विशेष पहचान स्थापित की। भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा और मुरली मनोहर जोशी ने छात्र जीवन में ही राजनीति का ककहरा सीखा।
एनडी तिवारी समेत प्रदेश के चार पूर्व मुख्यमंत्री छात्रसंघ के महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं।
आजादी के आंदोलन से लेकर राज्य निर्माण आंदोलन का केंद्र छात्र राजनीति रही है। पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी, नित्यानंद स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी और तीरथ सिंह रावत छात्र संघ के महत्वपूर्ण पदों पर रहे। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत और वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हैं। छात्र राजनीति से निकलकर कैबिनेट मंत्री और विधायक बने नेताओं की भी लंबी फेहरिस्त है।
छात्र राजनीति में धनबल का दुष्प्रभाव
90 के दशक तक छात्र नेता बिना किसी दल के चुनाव लड़ते थे। छात्रहितों के लिए संघर्ष करने के साथ ही ज्वलंत सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं पर बड़े स्तर पर छात्र आंदोलन होते थे। छात्र राजनीति में राजनीतिक दलों के दखल के बाद धनबल का दुष्प्रभाव बढ़ने लगा। छात्रों की सृजनात्मक और संघर्षशील राजनीति का पतन होने लगा। छात्र आंदोलनों के माध्यम से छात्र नेताओं की भूमिका महज विवि और महाविद्यालयों में होने वाले छात्रसंघ चुनाव तक सिमट कर रह गई।
छात्र संघ के महत्वपूर्ण पदों पर रहे पूर्व सीएम
- नारायण दत्त तिवारी – 1947 में इलाहबाद यूनिवर्सिटी के छात्र संघ अध्यक्ष बने।
- नित्यानंद स्वामी – 1950 में डीएवी कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए।
- भगत सिंह कोश्यारी – 1961 में अल्मोड़ा कॉलेज में छात्र संघ महासचिव चुने गए।
- तीरथ सिंह रावत – 1992 में हेमवती नंदन बहुगुणा विवि में छात्र संघ अध्यक्ष बने।